हाईकोर्ट ने जर्जर स्कूल भवनों का संज्ञान लिया , स्कूल शिक्षा सचिव से प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी
बिलासपुर ( शिखर दर्शन )// हाईकोर्ट ने स्कूलों के जर्जर भवनों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने शासन और स्कूल शिक्षा सचिव को निर्देश दिया है कि वे शपथ पत्र के माध्यम से इन भवनों की मरम्मत की प्रगति रिपोर्ट पेश करें।
सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने कलेक्टर द्वारा जिम्मेदारी लेने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कोर्ट ने सवाल उठाया कि कलेक्टर कितनी जगहों पर निगरानी रख सकते हैं और शिक्षा सचिव की भूमिका पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने शिक्षा सचिव से यह स्पष्ट करने को कहा कि वे इस मामले में क्या कर रहे हैं और उनकी सक्रियता कितनी है।
इस आदेश के तहत, शासन को अब स्कूल भवनों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों की कई इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। बारिश के मौसम में इन स्कूलों की स्थिति और भी खराब हो जाती है। इस मुद्दे को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
मुख्यमंत्री शाला जतन योजना के तहत सत्र 2022-23 में शासकीय स्कूलों के लिए 1837 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। जब अतिरिक्त महाधिवक्ता ने यह जानकारी दी, तो चीफ जस्टिस ने पूछा कि इस राशि का उपयोग किस प्रकार किया गया है और क्या वास्तव में स्कूलों की स्थिति में सुधार हुआ है या यह केवल कागजों तक ही सीमित है।
शासन ने यह भी कहा कि कलेक्टर डीएमएफ फंड से अतिरिक्त राशि उपलब्ध करा सकते हैं, लेकिन डीबीयू ने इस पर टिप्पणी की कि कलेक्टर हर जगह नहीं जा सकते। शिक्षा सचिव को इस बात की निगरानी करनी चाहिए कि फंड का उपयोग किस दिशा में हो रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि शासन की ओर से प्रस्तुत शपथपत्र के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक सरकार ने जर्जर और सुरक्षित स्कूलों की गणना की थी। इसमें 2,219 स्कूलों को ढहाना और 9,000 स्कूलों की मरम्मत करनी थी। इन स्कूलों के लिए आवश्यक फंड स्कूल जतन योजना और डीएमएफ फंड से उपलब्ध कराया जाएगा।