गुजरात में चांदीपुरा वायरस का कहर: 27 बच्चों की मौत, 3 राज्यों में फैला संक्रमण
कोरोना के बाद, चांदीपुरा वायरस देश में बच्चों पर कहर बरपा रहा है। इसका सबसे गंभीर प्रभाव गुजरात में देखा जा रहा है, जहां अब तक 27 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस वायरस के 71 संदिग्ध मामले सामने आए हैं और प्रदेश के 23 जिलों में इसके संदिग्ध केस मिले हैं।
देश के तीन राज्यों में चांदीपुरा वायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। गुजरात के अलावा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी इस वायरस के मरीज मिलने शुरू हो गए हैं, जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया है। हेल्थ एजेंसियां अलर्ट पर हैं और सतर्कता बरत रही हैं।
गुजरात के 23 जिलों में इस वायरस के संदिग्ध मामले मिले हैं। इनमें साबरकांठा में 8, अरावली में 4, महिसागर में 2, खेड़ा में 5, मेहसाणा में 4, राजकोट में 2, सुरेंद्रनगर में 2, अहमदाबाद शहर में 4, गांधीनगर में 5, पंचमहल में 11, जामनगर में 5, मोरबी में 4, गांधीनगर शहर में 2, छोटाउदेपुर में 2, दाहोद में 2, वडोदरा में 1, नर्मदा में 1, बनासकांठा में 2, वडोदरा शहर में 1, भावनगर में 1, देवभूमि द्वारका में 1, राजकोट निगम में 1 और कच्छ में 1 संदिग्ध मामला सामने आया है।
साबरकांठा में 1, अरावली में 2, मेहसाणा में 2, गांधीनगर में 1, पंचमहल में 1, मोरबी में 1 और वडोदरा में 1 व्यक्ति चांदीपुरा वायरस से संक्रमित पाया गया है। गुजरात के 71 संदिग्ध मामलों में अब तक 27 मरीजों की मौत हो चुकी है। इन मौतों में साबरकांठा में 2, अरावली में 3, महिसागर में 1, मेहसाणा में 2, राजकोट में 2, सुरेंद्रनगर में 1, अहमदाबाद शहर में 3, गांधीनगर में 1, पंचमहल में 4, मोरबी में 3, गांधीनगर निगम में 1, दाहोद में 2, वडोदरा में 1 और देवभूमि द्वारका में 1 मरीज शामिल हैं। गुजरात में फिलहाल 41 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं और 3 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने कुल 17,248 घरों में 1,21,826 व्यक्तियों की जांच की है।
क्या है चांदीपुरा वायरस?
चांदीपुरा वायरस एक विषाणुजनित संक्रमण है जो मुख्य रूप से मच्छरों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस मुख्य रूप से पश्चिमी और दक्षिणी भारत में पाया जाता है। चांदीपुरा वायरस को “चांदीपुरा वाइरस” या “चांदीपुरा एन्केफलाइटिस वायरस” के नाम से भी जाना जाता है।
मुख्य बिंदु:
- संक्रमण: चांदीपुरा वायरस का संक्रमण मच्छरों के काटने के माध्यम से होता है, विशेष रूप से एडीस और क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों के माध्यम से।
- लक्षण: इसके संक्रमण के लक्षण बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, और कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे भ्रम, दौरे और एन्केफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) हो सकते हैं।
- प्रभावित क्षेत्र: यह वायरस आमतौर पर भारत के ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है, जहां मच्छरों की अधिकता होती है।
- उपचार: चांदीपुरा वायरस के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। इलाज आमतौर पर लक्षणों के प्रबंधन तक सीमित होता है, जिसमें बुखार और दर्द निवारक दवाइयाँ शामिल होती हैं। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।
- रोकथाम: मच्छरों के काटने से बचाव के उपाय, जैसे मच्छरदानी का उपयोग, मच्छर रिपेलेंट्स का प्रयोग, और आसपास के वातावरण की सफाई, चांदीपुरा वायरस के संक्रमण को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
चांदीपुरा वायरस का पहला केस 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर जिले के चांदीपुर में रिपोर्ट किया गया था, और इसी कारण इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा। इसके बाद, इस वायरस के मामले 2004-2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में सामने आए। यह एक RNA वायरस है जो मुख्य रूप से मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खियों के माध्यम से फैलता है, जबकि मच्छरों में पाए जाने वाले एडीज प्रजाति इसके प्रसार में योगदान देती है।