17 जुलाई: श्री महाकालेश्वर भस्म आरती एवं शृंगार दर्शन
विशेष संवाददाता छमू गुरु की रिपोर्ट : उज्जैन ( शिखर दर्शन ) // मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री महाकाल मंदिर के पट सुबह 4 बजे खोले गए । सबसे पहले बाबा महाकाल का पवित्र गंगा जल से अभिषेक किया गया । इसके बाद दूध , दही , घी , शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया।
श्री महाकाल को भस्म चढ़ाई गई । भांग , चंदन और त्रिपुंड अर्पित कर कलात्मक आभूषणों से अद्भुत श्रृंगार किया गया । श्री महाकाल ने शेष नाग का रजत मुकुट , रजत मुंड की माला और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित विष्णुप्रिया के फूलों से बनी माला धारण की । श्री त्रिनेत्र धारी को अवंतिका नगरी की प्रसिद्ध मिठाइयों का भोग लगाया गया ।
मृत्युलोकधिपति के प्रातः कालीन श्रृंगार दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी । श्री महाकाल मंदिर पहुंचे उपस्थित सभी ने भस्म आरती दर्शन कर आध्यात्मिक व भावनात्मक शांति के साथ आत्मिक आनंद की अनुभूति प्राप्त की ।
कुछ श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के समक्ष सदैव उपस्थित रहने वाले नंदी जी के नजदीक जा कर , परंपरा के अनुसार उनके कानो में अपनी मनोकामनाएं कह कर , भोलेनाथ तक पहुंचाने की गुजारिश की ।
आशुतोष की भक्ति में सराबोर श्रद्धालुगण बाबा के जयकारे भी लगा रहे थे , श्रीमहाकालेश्वर मंदिर की दसों दिशाएं “जय जय श्री महाकाल” ,”हर हर महादेव” , “हर हर शंभू” ,”ॐ नमः शिवाय” से गुंजयमान हो रही थी ।
आयोजन की व्यवस्था:
मंदिर प्रशासन ने इस अवसर पर विशेष व्यवस्था की थी ताकि भक्तगण सुगमता से दर्शन कर सकें। सुरक्षा और सुविधा के लिए पुलिस और वालंटियर्स की भी तैनाती की गई थी।
श्री महाकालेश्वर भस्म आरती और शृंगार दर्शन के इस पावन अवसर ने भक्तों को एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया, जो उनके जीवन में सदैव अविस्मरणीय रहेगा।