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यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर नया विवाद: मृतक के परिवार ने माफी और सजा पलटने के दावों को किया खारिज

” तलाल का खून बातचीत के बाजार में माल नहीं बनेगा…” निमिषा प्रिया केस में नया ट्विस्ट ! मृतक के भाई ने जज को लिखा पत्र , फांसी की तारीख जल्द तय करने की उठाई मांग

नई दिल्ली/सना ( यमन ) // भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को लेकर यमन में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है। जहां एक ओर कुछ धार्मिक संगठनों और मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि यमन के हूती प्रशासन ने निमिषा की फांसी की सजा को पलट दिया है, वहीं दूसरी ओर मृत यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिवार ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।

तलाल के भाई अब्दुल फतेह महदी ने एक तीखा पत्र लिखते हुए साफ किया है कि परिवार न तो ब्लड मनी स्वीकार करेगा और न ही किसी तरह की सुलह या मध्यस्थता के लिए तैयार है। उन्होंने यमन प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द फांसी की नई तारीख तय कर निमिषा प्रिया को सजा दी जाए।

क्या है पूरा मामला ?

केरल की निवासी और पेशे से नर्स निमिषा प्रिया इस समय यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं। साल 2017 में अपने पूर्व बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। बताया जाता है कि यह हत्या गलती से हुई थी, लेकिन यमन की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया।

16 जुलाई 2025 को उन्हें फांसी दी जानी थी, लेकिन ऐन वक्त पर सजा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद केरल के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने दावा किया कि हूती प्रशासन ने सजा को पलट दिया है।

परिजनों की सख्त प्रतिक्रिया

तलाल के भाई अब्दुल फतेह महदी ने सोमवार 28 जुलाई को इस दावे को नकारते हुए कहा कि “कुछ लोग धर्म के नाम पर अपनी छवि चमकाने के लिए झूठे दावे कर रहे हैं। तलाल का खून कोई सौदेबाजी की वस्तु नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि यमन के कानून के अनुसार मृतक के परिवार की सहमति के बिना न तो फांसी की सजा को बदला जा सकता है और न ही ब्लड मनी दी जा सकती है। उनका कहना है कि “अगर कोई फैसला लेना है, तो वो हम ही लेंगे।”

पत्र में क्या लिखा गया है ?

अरबी भाषा में लिखे गए पत्र में महदी के भाई ने उल्लेख किया कि,

“16 जुलाई को सजा स्थगित किए जाने के बाद से काफी समय बीत चुका है, लेकिन अब तक नई तारीख तय नहीं हुई है। हम पीड़िता के वारिस हैं और अपने ‘क़िसास’ (बदले की सजा) के अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम किसी भी सुलह या मध्यस्थता को पूरी तरह नकारते हैं ।”

उन्होंने यमन प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द फांसी की नई तारीख घोषित कर सजा को लागू किया जाए, ताकि परिवार को न्याय मिल सके।

निष्कर्ष :

अब जबकि मृतक के परिजन सख्ती से ब्लड मनी और सुलह से इनकार कर रहे हैं, निमिषा प्रिया की जान एक बार फिर खतरे में नजर आ रही है। यह मामला भारत और यमन के बीच कूटनीतिक और मानवीय प्रयासों की एक बड़ी परीक्षा बन गया है।

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