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पहलगाम हमले का न्याय: ऑपरेशन महादेव में 96 दिन बाद सेना ने तीन आतंकियों को किया ढेर, सटीक रणनीति से लिया बदला

श्रीनगर (शिखर दर्शन) //
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले का आखिरकार भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया है। ऑपरेशन महादेव के तहत सेना ने हमले में शामिल तीन संदिग्ध आतंकियों को 96 दिन की खुफिया रणनीति और ट्रैकिंग के बाद मौत के घाट उतार दिया। यह मुठभेड़ श्रीनगर के बाहरी इलाके लिडवास के घने जंगलों में हुई, जहां सेना और पुलिस के संयुक्त अभियान में तीनों आतंकियों को ढूंढकर मारा गया।

यह वही आतंकी थे, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरण वैली में नाम और धर्म पूछ-पूछकर 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। इस दिल दहला देने वाले हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े TRF (द रेज़िस्टेंस फ्रंट) पर आई थी।

ऑपरेशन महादेव: कैसे हुआ मिशन का अंजाम ?

  • शुरुआत: ऑपरेशन का अंतिम चरण 28 जुलाई 2025 को श्रीनगर के दाचीगाम जंगल क्षेत्र में शुरू हुआ।
  • टीमें: भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स, 12 सिख लाइट इन्फैंट्री और जम्मू-कश्मीर पुलिस की SOG टीम शामिल रही।
  • रणनीति: आतंकियों की लोकेशन ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए ट्रैक की गई।
  • मुठभेड़: 6 घंटे चली मुठभेड़ में तीनों आतंकियों को मार गिराया गया। मौके से AK-47, ग्रेनेड और IED बरामद हुए, जो पहलगाम हमले में प्रयुक्त बताए गए हैं।
  • तकनीक का उपयोग: इस ऑपरेशन में स्वदेशी ड्रोन, थर्मल इमेजिंग, रोबोटिक IED निष्क्रिय प्रणाली का प्रयोग किया गया।

हमले के पीछे की क्रूरता

पहलगाम हमला देश में पहली बार धर्म के आधार पर की गई टारगेट किलिंग का उदाहरण बना। आतंकियों ने हिंदू और मुस्लिम नागरिकों को अलग कर हिंदू धर्म के 25 लोगों समेत कुल 26 निर्दोषों की हत्या की थी। इस बर्बर हमले के बाद देशभर में आक्रोश था और पीड़ित परिवार लगातार आतंकियों को पकड़ने की मांग कर रहे थे।

सेना की घोषणा: “न्याय मिल गया”

सेना ने ऑपरेशन के बाद साफ किया कि पहलगाम हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक को मार गिराया गया है, जबकि बाकी बचे आतंकियों की तलाश जारी है। सेना के अनुसार, यह सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि उन 26 शहीदों को न्याय दिलाने का अभियान था।


निष्कर्ष:
ऑपरेशन महादेव केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ न्याय की निर्णायक लड़ाई थी। भारतीय सेना की सटीकता, धैर्य और तकनीकी श्रेष्ठता ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत आतंक के हर वार का जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है — चाहे वह कितने भी दिन क्यों न लगे।

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