प्रदेशभर में तहसीलदारों का हल्ला बोल: 17 सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन शुरू, आज जिलों में धरना प्रदर्शन

रायपुर (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने सोमवार से अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत कर दी है। “संसाधन नहीं तो काम नहीं” के नारे के साथ छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले प्रदेशभर में अधिकारी अवकाश लेकर धरने पर बैठ गए हैं। रायपुर के तूता स्थित धरनास्थल सहित राज्य के सभी जिलों में प्रदर्शन हुआ।
संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया कि यह आंदोलन शासन की अनदेखी के खिलाफ है। लंबे समय से पदोन्नति, संसाधनों की कमी, न्यायालयीन सुरक्षा और संरचनात्मक सुधार जैसी मांगों को लेकर सरकार से चर्चा होती रही है, लेकिन अमल नहीं हुआ। इसलिए आंदोलन की शुरुआत जिला स्तर पर की गई है। 29 जुलाई को संभागीय स्तर पर और 30 जुलाई को प्रांत स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
राजस्व मंत्री से मुलाकात के बाद भी शुरू किया आंदोलन
संघ के प्रतिनिधियों ने कुछ दिन पहले राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा से मुलाकात कर अपनी मांगें रखी थीं। मंत्री ने सभी बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया था कि तहसीलदारों की मांगें जायज हैं और सरकार जल्द निर्णय लेगी। लेकिन निर्णय में देरी को देखते हुए आंदोलन की शुरुआत कर दी गई है।
जानिए तहसीलदारों की प्रमुख 17 मांगे क्या हैं ?
- सभी तहसीलों में स्वीकृत सेटअप की नियुक्ति:
कंप्यूटर ऑपरेटर, WBN, KGO, नायब नाजिर, माल जमादार, भृत्य, वाहन चालक, आदेशिका वाहक, राजस्व निरीक्षक एवं पटवारियों की नियुक्ति की जाए। यदि नियुक्ति संभव न हो तो लोक सेवा गारंटी अधिनियम से समय सीमा की बाध्यता हटाई जाए। - तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति प्रक्रिया:
सीधी भर्ती और पदोन्नति का अनुपात 50:50 पूर्ववत किया जाए और पूर्व की घोषणाओं को लागू किया जाए। - नायब तहसीलदार को राजपत्रित पद का दर्जा:
पूर्व में की गई घोषणा को तत्काल क्रियान्वित किया जाए। - ग्रेड पे में शीघ्र सुधार:
तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के लंबित ग्रेड पे का संशोधन किया जाए। - शासकीय वाहन की उपलब्धता या भत्ता:
लॉ एंड ऑर्डर, प्रोटोकॉल और अन्य कार्यों के लिए वाहन और चालक या फिर वाहन भत्ता दिया जाए। - अन्यायपूर्ण निलंबन से बहाली:
बिना वैध प्रक्रिया के निलंबित अधिकारियों को 15 दिन के भीतर जांच कर बहाल किया जाए। - न्यायालयीन प्रकरणों का अलग दर्जा:
कोर्ट मामलों को जनशिकायत में न जोड़ा जाए। - कोर्ट आदेशों में FIR पर रोक:
न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम 1985 और 2024 के सरकारी आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। - कोर्ट में उपस्थिति के लिए स्वतंत्र व्यवस्था:
कोर्ट कार्य की गुणवत्ता के लिए प्रोटोकॉल ड्यूटी से पृथक व्यवस्था की मांग। - स्टाफ की आउटसोर्स नियुक्ति में तहसीलदार को अधिकार:
तहसीलदारों को नियुक्ति की जिम्मेदारी और मानदेय भुगतान की स्वतंत्रता मिले। - तकनीकी कार्यों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर की नियुक्ति।
- SLR/ASLR की पुनर्बहाली:
भूमि अभिलेखीय कार्यों में सहयोग के लिए। - पदेन मोबाइल नंबर और डिवाइस:
TI की तरह सरकारी मोबाइल नंबर और डिवाइस दिए जाएं ताकि व्यक्तिगत नंबर गोपनीय रहें। - प्रत्येक तहसील में सुरक्षाकर्मी और फील्ड भ्रमण हेतु वाहन।
- सड़क दुर्घटनाओं में तत्काल मुआवजा की स्पष्ट गाइडलाइन।
- संघ को वैधानिक मान्यता:
वार्ता और पत्राचार में संघ को अधिकारिक रूप से मान्यता मिले। - राजस्व न्यायालय सुदृढ़ीकरण हेतु विशेषज्ञ कमिटी का गठन।
550 तहसीलदारों की भागीदारी, प्रदेशव्यापी असर
प्रदेशभर में करीब 550 तहसीलदारों की भागीदारी इस आंदोलन में है, जिससे राजस्व कार्यालयों के कामकाज पर असर पड़ा है। आने वाले दिनों में यदि सरकार ने उचित निर्णय नहीं लिया तो यह आंदोलन और तेज़ किया जा सकता है।