महाकाल के दरबार में अलौकिक दर्शन: भस्म आरती, पंचामृत अभिषेक और दिव्य श्रृंगार से झलका शिव वैभव

उज्जैन (शिखर दर्शन) // गुरु पूर्णिमा पर गुरुवार अल सुबह श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तिभाव और वैदिक परंपरा के साथ भगवान महाकाल का भव्य पूजन और अभिषेक किया गया। ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 4 बजे जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, बाबा महाकाल का सबसे पहले जल से अभिषेक कर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस) से महाअभिषेक किया गया।
पूजन के पश्चात भगवान को भस्म अर्पित की गई। रजत निर्मित शेषनाग का मुकुट, रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों की माला से बाबा को दिव्य स्वरूप में सजाया गया। इसके बाद फलों और मिष्ठान से भोग अर्पित कर ड्रायफ्रूट से आकर्षक श्रृंगार किया गया, जिसने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
भस्म आरती के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सैकड़ों भक्तों ने बाबा महाकाल के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया और नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना की। मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’, ‘जय श्री महाकाल’ और ‘ॐ नमः शिवाय’ के जयकारों से गूंज उठा।
श्रद्धा, आस्था और वैदिक परंपरा से भरे इस अलौकिक दर्शन ने एक बार फिर उज्जैन को धर्म, संस्कृति और शिवभक्ति की राजधानी के रूप में स्थापित कर दिया।