हिंसाग्रस्त बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

ऐड्वकेट विष्णु जैन ने उठाई अर्धसैनिक बलों की तैनाती और जांच आयोग की मांग
नई दिल्ली (शिखर दर्शन) // वक्फ संशोधन कानून लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद सहित कई जिलों में भड़की हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कल (मंगलवार, 22 अप्रैल) एक अहम सुनवाई होनी है। यह सुनवाई अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की याचिका पर होगी, जिसमें उन्होंने बंगाल में जारी हिंसा को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने, अर्धसैनिक बलों की तैनाती और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सोमवार को जैन ने सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती और हिंसा की जांच के लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए।
उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल में वर्ष 2022 की चुनाव बाद हिंसा को लेकर उनकी एक याचिका पहले से लंबित है, जिस पर कोर्ट नोटिस भी जारी कर चुका है। उसी याचिका के अंतर्गत अब वर्तमान में भड़की हिंसा को लेकर अतिरिक्त अर्जी दाखिल की गई है।
याचिका में की गई प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- हिंसा की जांच के लिए तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जाए।
- फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन कर उसे पश्चिम बंगाल भेजा जाए।
- राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए।
- अनुच्छेद 355 के तहत राज्यपाल से राज्य की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी जाए।
- हिंसा के बाद भयवश असम समेत अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हिंदू परिवारों की पहचान कर उनकी जानकारी जुटाई जाए।
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को आदेश जारी करें? वैसे भी हम पर पहले से कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लग रहा है।”
अब सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को यह तय करेगा कि याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर क्या दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। बंगाल की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए यह सुनवाई देशभर में चर्चा का विषय बन चुकी है।