अन्तर्राष्ट्रीय

‘हैंड्स ऑफ!’ आंदोलन: ट्रंप-मस्क की नीतियों के खिलाफ अमेरिका में देशव्यापी प्रदर्शन, 50 राज्यों में उठी आवाज

पोस्टर थामे सड़कों पर उतरे लाखों लोग, डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की नीतियों के खिलाफ अमेरिका में 1200 से अधिक स्थानों पर गूंजा ‘हैंड्स ऑफ’ आंदोलन

अमेरिका (शिखर दर्शन) // अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की नीतियों के खिलाफ देशभर में गुस्सा भड़क उठा है। शनिवार को अमेरिका के 50 राज्यों के 1,200 से अधिक स्थानों पर ‘हैंड्स ऑफ!’ शीर्षक से एक विशाल राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य ट्रंप प्रशासन की नीतियों, कर्मचारियों की छंटनी, बड़े पैमाने पर निर्वासन और मानवाधिकार हनन के खिलाफ आवाज उठाना था।

इस जनांदोलन में 150 से अधिक संगठनों ने भाग लिया, जिनमें सिविल राइट्स ग्रुप्स, लेबर यूनियन्स, LGBTQ+ समुदाय के प्रतिनिधि, वकील, चुनाव कार्यकर्ता और अन्य सामाजिक संगठनों ने भागीदारी की। प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और कहीं से भी हिंसा या गिरफ्तारी की खबर नहीं आई।

मैनहैटेन से अलास्का तक गूंजा विरोध

मिडटाउन मैनहैटेन, न्यूयॉर्क से लेकर एंकोरेज, अलास्का तक हजारों प्रदर्शनकारियों ने रैलियों और तख्तियों के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद की। प्रदर्शनों में खासतौर पर एलन मस्क की कंपनी DOGE और ट्रंप की नीतियों की आलोचना की गई, जिनमें संघीय एजेंसियों से छंटनी, इमिग्रेशन नीति, अर्थव्यवस्था की बदहाली और मानवाधिकार हनन जैसे मुद्दे शामिल रहे।

‘डराने-धमकाने की राजनीति नहीं चलेगी’

बोस्टन की मेयर मिशेल वू ने एक रैली में कहा, “मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे ऐसे देश में बड़े हों, जहां सरकार डराने-धमकाने की रणनीति अपनाए और नफरत को बढ़ावा दे।”

व्हाइट हाउस का जवाब

प्रदर्शनों के बाद व्हाइट हाउस ने बयान जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप सोशल सिक्योरिटी, मेडिकेयर और मेडिकेड की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, सरकार ने डेमोक्रेट्स पर वित्तीय संकट उत्पन्न करने का आरोप लगाया।

महिला मार्च 2017 और BLM के बाद सबसे बड़ा विरोध

‘हैंड्स ऑफ!’ प्रदर्शन को अमेरिका में महिला मार्च 2017 और ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन 2020 के बाद सबसे बड़ा और संगठित जनआंदोलन माना जा रहा है। ट्रंप के सत्ता में वापसी के बाद यह विरोध उनकी नीतियों के खिलाफ जन असंतोष का बड़ा संकेत है।

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