दिल्ली

वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पास: 288 वोट समर्थन में, 232 विरोध में; आज राज्यसभा में पेश, केंद्र ने साधे छह निशाने

नई दिल्ली (शिखर दर्शन) // लोकसभा में बुधवार देर रात वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पारित हो गया। 12 घंटे की गहन चर्चा के बाद रात 1:56 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधेयक के पारित होने की घोषणा की। बिल के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। अब यह गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

वक्फ बिल को नया नाम और संरचना में बदलाव

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को नया नाम “उम्मीद” (Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency and Development) दिया है। नए संशोधन के तहत सेक्शन 40 को हटा दिया गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर विवाद समाप्त होने की संभावना है। अब वक्फ बोर्ड में 10 मुस्लिम और 4 अन्य धर्मों के सदस्य होंगे, जिससे इसकी संरचना में विविधता आएगी।

विपक्ष का जोरदार विरोध, असदुद्दीन ओवैसी ने फाड़ा विधेयक

विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने जोरदार विरोध किया। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को मुसलमानों के खिलाफ बताया और संसद में इसकी प्रति फाड़ दी। उन्होंने कहा, “यह विधेयक मुस्लिम समुदाय को अपमानित करने के लिए लाया गया है।”

वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन करना है, न कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप। उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड को धार्मिक गतिविधियों में नहीं पड़ना चाहिए। हमने किसी मुतवल्ली (वक्फ के प्रबंधक) को नहीं छुआ है।”

नीतीश कुमार के सांसद ललन सिंह का बयान— ‘PM मोदी का चेहरा पसंद नहीं तो मत देखिए’

चर्चा के दौरान जेडीयू सांसद ललन सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर आपको पीएम मोदी का चेहरा पसंद नहीं है तो मत देखिए, लेकिन जनता ने उन्हें चुना है।” इस बयान पर सदन में तीखी बहस हुई।

कांग्रेस सरकार पर अमित शाह का हमला

अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने 123 सरकारी संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दीं, लेकिन उनकी देखरेख और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की। उन्होंने कहा, “अगर यह बिल नहीं लाया जाता, तो नया संसद भवन भी वक्फ संपत्ति बन सकता था।”

बीजेपी ने एक बिल से साधे छह निशाने

इस विधेयक के पारित होने के साथ, बीजेपी ने राजनीतिक रूप से छह बड़े संदेश दिए—

  1. सेक्युलरिज्म की नई परिभाषा— विपक्ष की परिभाषा अब स्वीकार्य नहीं।
  2. मुस्लिम विरोध का नैरेटिव नहीं चलेगा— हर फैसले को मुस्लिम विरोधी बताने की राजनीति अब नहीं टिकेगी।
  3. वोट बैंक की राजनीति कमजोर— मुस्लिमों को डराकर वोट बटोरने का पुराना तरीका अब नहीं चलेगा।
  4. सड़क से संसद तक दबाव बेअसर— विरोध प्रदर्शनों के जरिए सरकार के फैसले बदलवाने की रणनीति अब सफल नहीं होगी।
  5. गठबंधन सरकार को हल्के में लेना भूल— नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगियों के समर्थन के बावजूद सरकार मजबूती से खड़ी है।
  6. मोदी की निर्णय क्षमता बरकरार— विपक्ष की सीटें बढ़ीं, लेकिन पीएम मोदी की निर्णायक शक्ति पर असर नहीं पड़ा।

आज राज्यसभा में कड़ा मुकाबला संभव

अब यह विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां विपक्ष के जोरदार विरोध की संभावना है। हालांकि, केंद्र सरकार को उम्मीद है कि यह विधेयक उच्च सदन से भी पारित हो जाएगा।

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