मध्यप्रदेश

मैहर के जगन्नाथ मंदिर में उमड़ती श्रद्धा: कढ़ी-भात प्रसाद के लिए लाखों भक्त, राजा ने कोढ़ ठीक होने पर कराया था निर्माण, प्रसाद चढ़ाने के लिए 10 साल तक करना पड़ता है इंतजार

मैहर के मुकुंदपुर में उमड़े श्रद्धालु, श्री जगन्नाथ मंदिर में अटका महापर्व आयोजित

मैहर (शिखर दर्शन) // मध्य प्रदेश के मैहर जिले के मुकुंदपुर स्थित श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी अटका महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु अटका प्रसाद चढ़ाने और कढ़ी-भात का महाप्रसाद ग्रहण करने के लिए रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना समेत कई जिलों से पहुंच रहे हैं। मंदिर प्रबंध समिति ने आयोजन की तैयारियां पहले से ही पूरी कर ली थीं, और भक्तों को महाप्रसाद चढ़ाने के लिए अलग-अलग अवसर दिए जा रहे हैं।

भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति और ऐतिहासिक महत्व

मुकुंदपुर का श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां भगवान विष्णु की कलचुरी कालीन भारतीय कला दर्शन की उत्कृष्ट मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि पहले यहां भगवान विष्णु का एक मंदिर था, जो कालांतर में गिर गया। इसके बाद महाराजा भावसिंह ने 1680-85 के बीच ईरानी गुम्बद शैली में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया और उसमें भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित की।

मान्यता: भगवान जगन्नाथ के दर्शन से पाप मुक्त होता है मनुष्य

मंदिर में होली के अवसर पर ‘जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ’ कहावत साकार होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्री जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और उनके महाप्रसाद के सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है। सदियों से यहां जाति-पंथ का भेदभाव समाप्त होता आया है, और प्रसाद वितरण सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।

महाराजा भावसिंह के कोढ़ रोग का इलाज और मंदिर की स्थापना

कहा जाता है कि महाराजा भावसिंह को कोढ़ की बीमारी थी, जिसे ठीक करने के लिए वे बार-बार जगन्नाथ पुरी जाते थे और भगवान के चरणामृत का सेवन करते थे। जब उन्हें इससे लाभ हुआ, तो उन्होंने मुकुंदपुर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनवाकर वहां विग्रह स्थापित कर दिया। आज भी यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान के चरणामृत को ग्रहण करके आस्था रखते हैं कि इससे उनकी बीमारियां और मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

2035 तक अटका प्रसाद की बुकिंग फुल

श्री जगन्नाथ मंदिर की आस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2035 तक अटका प्रसाद की बुकिंग पूरी हो चुकी है। होली के अवसर पर फाग में प्रसाद चढ़ाने की संभावना नहीं होती, इसलिए श्रद्धालुओं के लिए पूर्णिमा का विकल्प रखा गया है। लक्ष्मीकांत द्विवेदी के अनुसार, जिनकी भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वे महाप्रसाद चढ़ाने का संकल्प लेते हैं, जिसके लिए उन्हें 5 से 10 साल तक इंतजार करना पड़ता है।

होली पर्व के अवसर पर मुकुंदपुर का श्री जगन्नाथ मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। भक्तों की अटूट श्रद्धा और आस्था इसे और भी विशेष बना देती है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button