महाकुंभ में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुनी राम कथा: कहा- “राम को मानते हैं, तो उनकी बात मानने में झिझक क्यों ?”

संगम में डुबकी लगाकर रामकथा में हुए शामिल
प्रयागराज (शिखर दर्शन) // महाकुंभ के पावन अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सपरिवार संगम पहुंचे। यहां उन्होंने पवित्र त्रिवेणी में डुबकी लगाई और विभिन्न शिविरों में जाकर संतों का आशीर्वाद लिया। इस दौरान वे मोरारी बापू की रामकथा में शामिल हुए।
रामकथा में बोलते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा, “हम श्रीराम को मानते हैं, उनके चरित्र को अपनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन जब उनकी बात मानने की बारी आती है तो झिझकने लगते हैं। यह हमारे लिए एक चुनौती है। हमें यह सोचना होगा कि कैसे हम श्रीराम के बताए मार्ग पर चलें, ताकि उनका चरित्र हमारे जीवन का हिस्सा बन सके।”
चिदानंद सरस्वती का संदेश: संगम से बंधुता और प्रेम का आह्वान
रामकथा के दौरान परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने भी संगम तट से सामाजिक एकता और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हमारे दिल और घर के आगे मोहब्बत लिखा हो। हमें न बंटना है, न बांटना है, न डरना है, न डराना है। यही संगम का असली संदेश है।”
चिदानंद सरस्वती ने मोरारी बापू की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका जीवन सनातन धर्म की परम ज्योति है। उन्होंने कहा, “बापूजी ने हर किसी को अपनाया है। उनका जीवन संग्राम से नहीं, बल्कि ‘संग-राम’ को साकार करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि बापूजी का संदेश समाज को जोड़ने और अमृत प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
महाकुंभ में रामकथा और संतों के संदेश ने श्रद्धालुओं को जीवन में धार्मिक और सामाजिक मूल्यों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।