महाकुंभ 2025: पहला शाही स्नान शुरू, स्वामी अवधेशानंद ने किया बड़ा बयान, बोले- सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना

विशेष संवाददाता विशाल कनौजिया की रिपोर्ट :
प्रयागराज (शिखर दर्शन) // महाकुंभ 2025 के पहले शाही स्नान की शुरुआत हो गई है। पंचायती निर्वाणी अखाड़े के संतों ने सुबह 6:15 बजे अमृत स्नान किया। तलवार, त्रिशूल और डमरू हाथों में लेकर 2000 नागा साधु स्नान के लिए घाट की ओर बढ़े, जहां लाखों श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया और जयघोष के नारे लगाए।
इसी बीच, जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने पहले अमृत स्नान को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। स्वामी ने कहा कि महाकुंभ में मोक्ष की कामना के लिए लोग आते हैं। उनका मानना है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम में स्नान करने से परमपावन ऊर्जा मिलती है, जो अमृत के समान है। स्वामी ने यह भी कहा कि महाकुंभ में लाखों साधु-संतों के साथ-साथ यक्ष, गंधर्व, किन्नर और अप्सराएं भी आती हैं, जो इस आयोजन की दिव्यता को और बढ़ाती हैं।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना
स्वामी अवधेशानंद ने अखाड़ों की स्थापना के पीछे की आवश्यकता को भी स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि भगवान शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी। अमृत स्नान के लिए पहले शैव अखाड़े निकलते हैं, उसके बाद वैष्णवों के अखाड़े और फिर बाकी अखाड़े स्नान करते हैं। स्वामी ने यह भी कहा कि हमारे यहां शस्त्र और शास्त्र दोनों की परंपरा रही है। जब धर्म की रक्षा के लिए शास्त्र असफल होते हैं, तब शस्त्रों का प्रयोग किया जाता है।
प्लास्टिक मुक्त और हरित कुंभ की अपील
स्वामी अवधेशानंद ने इस बार कुंभ के आयोजन को और अधिक पवित्र और स्वच्छ बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें प्लास्टिक मुक्त कुंभ चाहिए और हरित कुंभ का सपना देख रहे हैं। स्वामी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने के कारण अगर हम प्रकृति का संरक्षण नहीं करेंगे, तो भविष्य में हम सबका जीना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें, क्योंकि “प्रकृति है तो हम हैं, अगर वह नहीं तो हम भी नहीं रहेंगे।”
महाकुंभ 2025 का यह पहला शाही स्नान और स्वामी अवधेशानंद का यह संदेश, सभी को एकजुट होकर धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से जिम्मेदार बनाने का महत्वपूर्ण आह्वान करता है।