दुर्ग संभाग

60 करोड़ की लागत से बना बैराज बदहाल, प्रशासन की अनदेखी से सिंचाई संकट गहराया

प्रधानपाठ बैराज : प्रशासनिक उदासीनता और घटिया निर्माण का प्रतीक

खैरागढ़ ( शिखर दर्शन ) // जिले के मुढ़ीपार ग्राम में आमनेर नदी पर 60 करोड़ रुपये की लागत से बना प्रधानपाठ बैराज आज बदहाली की कहानी कह रहा है। क्षेत्रवासियों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की मंशा से बनाए गए इस बैराज की स्थिति अब इतनी दयनीय हो चुकी है कि यह उपयोग लायक भी नहीं बचा। लगभग आठ साल पहले आई बाढ़ में बैराज का एक गेट पूरी तरह टूट गया था, लेकिन इतने वर्षों के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं हो सकी है।

गुणवत्ता की अनदेखी से आई समस्या

करीब 20 साल पहले बने इस बैराज की गुणवत्ता और निर्माण प्रक्रिया पर अब सवाल उठने लगे हैं। जानकारों के मुताबिक, इस स्थान पर पहले एक बांध का निर्माण प्रस्तावित था, लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों के निजी स्वार्थ के चलते इसे बैराज में बदल दिया गया। निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के उपयोग और गुणवत्ता की अनदेखी के चलते यह बैराज आज जर्जर स्थिति में पहुंच गया है।

क्षेत्रवासियों की पीड़ा

क्षेत्रवासी प्रशासनिक लापरवाही और खराब निर्माण कार्य की वजह से परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बैराज की मरम्मत कर दी जाए, तो नदी के पानी का संग्रहण फिर से शुरू हो सकता है, जिससे सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता ने इस समस्या को गंभीर बना दिया है।

बैराज बन सकता है जीवनरेखा

प्रधानपाठ बैराज क्षेत्र के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सिंचाई साधन बन सकता है। अगर समय रहते इसकी मरम्मत हो जाती है, तो यह क्षेत्रवासियों के लिए खेती-किसानी की उम्मीद बन सकता है। लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के कारण बैराज अब सिर्फ एक ध्वस्त संरचना और सरकारी लापरवाही का प्रतीक बनकर रह गया है।

क्या प्रशासन करेगा कोई कदम?

ग्रामवासियों ने प्रशासन से इस समस्या पर शीघ्र कार्रवाई करने की मांग की है। क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेकर बैराज की मरम्मत के लिए ठोस कदम उठाएंगे। अब देखना यह है कि यह प्रतीक्षा कब समाप्त होती है और क्षेत्रवासियों को कब राहत मिलती है।

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