दुर्ग संभाग

डोंगरगढ़: फर्जी लोन घोटाला, भोले-भाले किसानों को बनाया कर्जदार

सहकारी समिति में बड़ा घोटाला:

किसानों ने कहा – कोई कर्ज नहीं लिया, फिर भी बना दिया कर्जदार; शिकायत पर कार्रवाई नहीं, अब आत्महत्या की चेतावनी

डोंगरगढ़ ( शिखर दर्शन ) // विकसखंड छिपा के सहकारी समिति में सोसायटी प्रबंधक और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से भोले-भाले किसानों के नाम पर लाखों का फर्जी लोन लेकर बड़ी हेराफेरी का मामला सामने आया है। इस घोटाले ने किसानों को आर्थिक संकट में धकेल दिया है, जिससे वे खेती के लिए जरूरी साधन जुटाने और अपनी उपज बेचने में असमर्थ हो गए हैं।

किसानों के नाम पर लाखों का कर्ज

पलांदूर गांव के किसान जितेंद्र यादव के नाम पर 2.65 लाख रुपये का कर्ज दिखाया गया, जबकि उनके पास केवल दो एकड़ जमीन है, जिस पर नियमों के अनुसार 60,000 रुपये से अधिक का लोन नहीं दिया जा सकता। जितेंद्र के अलावा यादव राम वर्मा, राजकुमार वर्मा, शेखर वर्मा और प्रदीप वर्मा समेत कई किसानों के नाम पर भी इसी तरह फर्जी लोन लिया गया। इन किसानों ने न तो लोन के लिए आवेदन किया और न ही उन्हें इस प्रक्रिया की कोई जानकारी थी।

ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर से हुई धोखाधड़ी

सोसायटी प्रबंधक ने नवीनीकरण के नाम पर किसानों से ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर करवा लिए और बैंक कर्मचारियों के साथ मिलकर उनके नाम पर लोन स्वीकृत कर राशि हड़प ली। जब किसानों को इस घोटाले की जानकारी हुई, तब तक उनकी धान बेचने की प्रक्रिया भी बाधित हो चुकी थी। अब उन्हें डर है कि यदि वे अपनी उपज बेचते हैं, तो इससे प्राप्त राशि को कर्ज के भुगतान में काट लिया जाएगा।

किसानों की मांग: दोषियों पर कार्रवाई और फर्जी लोन माफ

किसानों ने सांसद, कलेक्टर और एसडीएम से शिकायत की है। डोंगरगढ़ एसडीएम मनोज मरकाम ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

किसान यादवराम वर्मा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “हमने कभी लोन नहीं लिया, फिर भी हमें कर्जदार बना दिया गया। अब आत्महत्या के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है।” संतोष वर्मा ने बताया कि खाद खरीदने गए समय उन्हें अपने नाम पर लाखों का कर्ज होने का पता चला।

आंदोलन की चेतावनी

घोटाले से प्रभावित किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने मांग की है कि उनकी धान बेचने की अनुमति दी जाए और भुगतान में कोई कटौती न हो।

इस घोटाले ने किसानों की आर्थिक और मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाला है। उनकी मेहनत की कमाई लूटने के इस घोटाले ने उन्हें सामाजिक और मानसिक तनाव की स्थिति में डाल दिया है।

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