दुर्ग संभाग

गौठानों में चारा-पानी की कमी से 10 से अधिक गायों की मौत, प्रशासन पर लापरवाही के आरोप

दुर्ग ( शिखर दर्शन ) // छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में गौठानों की बदहाल स्थिति बेजुबान मवेशियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। जिले के नंदनी थाना क्षेत्र के गोढ़ी गांव के गौठान में भूख-प्यास से 10 से अधिक गायों की मौत हो गई। गौठान में चारा-पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण इन मवेशियों को असमय मौत का शिकार होना पड़ा।

सरपंच पर लापरवाही का आरोप

गांव के सरपंच गोपी साहू पर आरोप है कि उन्होंने किसानों की फसल को मवेशियों से बचाने के लिए एक नई समिति बनाई और गांव के मवेशियों को गौठान में बांध दिया। लेकिन वहां चारे और पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिसके कारण मवेशी तड़प-तड़प कर मर गए।

गांव के पंच पति डोमार सिंह ने सरपंच को इन मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, “किसानों की फसल को बचाने के लिए सरपंच द्वारा बनाई गई समिति ने चारा-पानी की कोई व्यवस्था नहीं की। जब मवेशियों के शवों से दुर्गंध आने लगी, तब ग्रामीणों को गौठान की स्थिति का पता चला।”

शवों को हटाने की कोशिश, जांच जारी

गौठान में मृत मवेशियों के शवों को आनन-फानन में ट्रैक्टर में भरकर दूसरी जगह फेंक दिया गया ताकि मामला दबाया जा सके। घटना की जानकारी मिलते ही पशु चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कुछ मवेशियों का पोस्टमार्टम कराया। धमधा जनपद पंचायत के सीईओ किरण कौशिक ने बताया कि शुरुआती जांच में निमोनिया को मौत का संभावित कारण माना जा रहा है। उन्होंने कहा, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा।”

कोसानाला गौठान में भी बदहाली

भिलाई के कोसानाला शहरी गौठान में भी हालात चिंताजनक हैं। यहां हर दिन 2 से 3 गायों की मौत हो रही है। डॉक्टर इसे बीमारी का परिणाम बता रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोग गौठान में चारा और पानी की कमी को मुख्य वजह मानते हैं।

भिलाई नगर निगम के कमिश्नर राजीव पांडे ने कहा कि निगम के अधिकारियों को गौठान में उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “पशु चिकित्सकों को नियमित रूप से मवेशियों की स्वास्थ्य जांच के निर्देश दिए गए हैं, और प्रशासन जल्द ही स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठा रहा है।”

हालांकि, कोसानाला में फिलहाल कुछ सामाजिक संस्थाएं चारे की व्यवस्था में सहयोग कर रही हैं, लेकिन 300 से अधिक मवेशियों के लिए यह पर्याप्त नहीं है। ऐसे में कई गायें भूख से मरने को मजबूर हैं।

प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल

गौठानों में मवेशियों की हो रही मौत ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि गौठानों में चारा-पानी की व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए ताकि इन बेजुबान जानवरों को भूख और बीमारी से बचाया जा सके।

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