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संसद भवन घेराव के लिए 45 हजार किसान तैयार, नोएडा बॉर्डर पर अलर्ट, जानें क्या हैं उनकी मांगें

दिल्ली में आज किसानों का बड़ा प्रदर्शन: 45 हजार किसान करेंगे संसद भवन का घेराव, नोएडा पुलिस ने लागू किया रूट डायवर्जन

दिल्ली में सोमवार को एक बार फिर किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के बैनर तले करीब 45 हजार किसान संसद भवन का घेराव करने के लिए जुटेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा 10 विभिन्न किसान संगठनों का गठबंधन है।

किसानों का यह मार्च नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से दिल्ली की ओर रवाना होगा। इसे देखते हुए नोएडा पुलिस ने ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए रूट डायवर्जन प्लान लागू किया है, जिससे दिल्ली और नोएडा के बीच यातायात प्रभावित रहेगा।

संसद भवन घेराव के लिए 45 हजार किसान तैयार, उचित मुआवजे और भूमि अधिग्रहण कानून की मांग पर दिल्ली में महाप्रदर्शन

नोएडा/दिल्ली ( शिखर दर्शन ) // गोरखपुर जैसे चार गुना मुआवजे, भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ, और 10% विकसित भूखंड की मांगों को लेकर हजारों किसान आज दिल्ली में संसद भवन का घेराव करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में करीब 45 हजार किसान नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं। इस बीच, नोएडा और दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है, जिससे नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

क्यों हो रहा है प्रदर्शन?

किसानों का आरोप है कि गौतमबुद्ध नगर के किसानों को गोरखपुर हाईवे परियोजना की तरह चार गुना मुआवजा नहीं दिया गया है। पिछले 10 वर्षों से सर्किल रेट में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। किसानों ने यमुना प्राधिकरण पर उनकी समस्याओं को लगातार अनदेखा करने का आरोप लगाया है।

इससे पहले किसान यमुना प्राधिकरण कार्यालय के सामने चार दिनों तक धरने पर बैठे रहे, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया। रविवार को पुलिस और प्राधिकरण अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी किसानों की मांगें खारिज कर दी गईं, जिसके बाद किसानों ने अब दिल्ली में बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया है।

मुख्य मांगें

  1. गोरखपुर हाईवे परियोजना की तर्ज पर चार गुना मुआवजा।
  2. भूमि अधिग्रहण कानून के तहत उचित मुआवजा और 10% विकसित भूखंड।
  3. फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी।
  4. कर्ज माफी, पेंशन योजना और बिजली दरों में स्थिरता।
  5. पुलिस मामलों की वापसी और लखीमपुर खीरी हिंसा पीड़ितों को न्याय।
  6. 2020-21 के किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा।

पंजाब-हरियाणा से भी किसान करेंगे दिल्ली कूच

दिल्ली के इस महाप्रदर्शन में सिर्फ उत्तर प्रदेश के किसान ही नहीं, बल्कि पंजाब और हरियाणा से भी किसान बड़ी संख्या में शामिल होंगे। 6 दिसंबर को शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे। किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि 18 फरवरी के बाद से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है, जिससे किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

दूसरे राज्यों में भी प्रदर्शन

दिल्ली के अलावा केरल, उत्तराखंड, और तमिलनाडु में भी किसान अपने-अपने राज्यों की विधानसभाओं की ओर मार्च करेंगे। इन राज्यों में किसान कर्ज माफी, पेंशन, और बिजली दरों में वृद्धि रोकने जैसी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

यातायात और सुरक्षा व्यवस्था

किसानों के इस प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली और गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है। दिल्ली बॉर्डर पर कड़ी चेकिंग शुरू हो गई है, और नोएडा से दिल्ली जाने वाले सभी मार्गों पर बैरिकेडिंग की गई है। पुलिस ने वाहन चालकों को सलाह दी है कि वे वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें, क्योंकि प्रदर्शन के दौरान जाम लगने की संभावना है।

इस प्रदर्शन के चलते पुलिस और प्रशासन के सामने चुनौती है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए और यातायात व्यवस्था सुचारु रूप से चलती रहे।

केंद्र सरकार पर आरोप

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने केंद्र सरकार पर यह आरोप भी लगाया है कि किसानों की समस्याओं को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक किसानों की मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे किसानों के पास सड़कों पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

यह प्रदर्शन किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

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