जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश, ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं
नई दिल्ली // आज भारत को नया मुख्य न्यायाधीश मिल गया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने 51वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ग्रहण की, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। इस महत्वपूर्ण समारोह का आयोजन सुबह 10 बजे किया गया। जस्टिस खन्ना, पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हुआ। 16 अक्टूबर को जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस खन्ना के नाम की सीजेआई पद के लिए सिफारिश की थी, जिसके बाद केंद्र ने 24 अक्टूबर को उनकी नियुक्ति का आधिकारिक ऐलान किया।
कई ऐतिहासिक फैसलों में निभाई भूमिका
जस्टिस खन्ना 2019 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने और चुनावी बॉन्ड मामले जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों में अपनी भूमिका निभाई है। इसके साथ ही उन्होंने ईवीएम की पवित्रता को बरकरार रखने जैसे मुद्दों पर भी अपनी सटीक दृष्टि दी है। सुप्रीम कोर्ट में अपनी भूमिका में खन्ना ने समय-समय पर ऐतिहासिक फैसले देकर न्यायिक प्रक्रिया को नई दिशा दी है।
जस्टिस संजीव खन्ना का जीवन परिचय और न्यायिक यात्रा
14 मई 1960 को दिल्ली में जन्मे जस्टिस खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से अपनी विधि शिक्षा पूरी की। 2004 में उन्हें दिल्ली का स्थायी वकील नियुक्त किया गया, जिसके बाद वे 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने। उन्हें बाद में स्थायी न्यायाधीश का पद मिला और दिल्ली हाईकोर्ट में उन्होंने एक वरिष्ठ वकील और न्याय मित्र के रूप में भी कई महत्वपूर्ण मामलों में बहस की। उनका एक लंबा कार्यकाल आयकर विभाग में वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में भी रहा। बतौर सीजेआई, उनकी प्राथमिकता लंबित मामलों की संख्या घटाने और न्याय प्रक्रिया को तेज करने पर रहेगी।
जस्टिस खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं, जो 1976 में आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में अपने असहमतिपूर्ण फैसले के लिए प्रसिद्ध हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल और आगामी योजनाएं
18 जनवरी 2019 को कॉलेजियम की सिफारिश पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत किया गया। सुप्रीम कोर्ट आने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी सेवाएं दीं और फिलहाल नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और नेशनल ज्यूडिशल एकेडमी भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल अगले साल 13 मई को समाप्त होगा।
इस नई जिम्मेदारी के साथ, जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय न्यायपालिका के सामने मौजूद चुनौतियों का समाधान करते हुए न्याय की गति को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।