06 अगस्त श्री महाकाल भस्म आरती शृंगार दर्शन
( विशेष संवाददाता छमु गुरु की रिपोर्ट : )
उज्जैन //(शिखर दर्शन) // मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा स्थान रखने वाले विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर रात ढाई बजे भगवान भोलेनाथ के मंदिर के कपाट खोले गए । सावन के इस पावन माह में भगवान श्री महाकाल की आरती का समय विशेष रूप से सुबह 3 बजे रखा गया , ताकि भक्तों को भगवान महाकाल की पूजा का अनोखा अनुभव मिल सके।
सबसे पहले भगवान महाकाल का पवित्र गंगा जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध , दही , घी , शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण माह में शिव आराधना से सभी कष्टों की मुक्ति होती है।
अभिषेक के बाद , भगवान महाकाल को तिलक , त्रिपुंड और कलात्मक आभूषण और सुगंधित फूलों से राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया । श्री महाकाल ने शेष नाग का ” चांदी मुकुट” , “चांदी के मुंडो की माला” और “रुद्राक्ष” की माला के साथ सुगंधित फूलों की माला धारण की , श्री आशुतोष को विभिन्न प्रकार के फलों के साथ अवंतिका नगरी की प्रसिद्ध मिठाइयों का भोग लगाया।
भस्मीभूत तथा पूर्ण श्रृंगार के बाद झांझ-मंजीरे , ढोल-नगाड़े और शंखनाद के साथ श्री महाकाल की दिव्य भस्म आरती की गई ।
सुबह से ही महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी । कुछ भक्तों ने बाबा के बेहद करीब रहने वाले नंदी महाराज के पास जा कर उनके कानो में अपने मन की बात कह कर भोलेनाथ तक पहुंचाने की विनती की ।
सभी भक्त बाबा के जयकारे भी लग रहे थे। “जय जय श्री महाकाल”, “जय जय शिव शंकर”, “हर हर महादेव”, “हर हर शंभु”, “ॐ नमः शिवाय” के उद्घोष से मंदिर की दसों दिशाएं गुंजय मान हो रही थी । यह विशेष भस्म आरती भक्तों को एक दिव्य अनुभव कराती है , जो श्री महाकालेश्वर की दिव्यता और शक्ति का प्रमाण है ।