30 जुलाई को महाकाल भस्म आरती शृंगार दर्शन में भगवान महाकालेश्वर को तिलक, त्रिपुंड, और कलात्मक आभूषण अर्पित कर राजा के रूप में श्रृंगार किया जाएगा।
( विशेष संवाददाता छमु गुरु की रिपोर्ट : )
सावन के विशेष अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर में भव्य भस्म आरती
उज्जैन ( शिखर दर्शन ) // मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन मंगलवार रात ढाई बजे मंदिर के कपाट खोले गए। सावन के इस पावन महीने में भगवान श्री महाकाल की आरती का समय विशेष रूप से 3 बजे निर्धारित किया गया, ताकि भक्तों को भगवान महाकाल की पूजा का अनूठा अनुभव मिल सके।
रात की आरती से पहले सबसे पहले भगवान महाकाल को पवित्र गंगा जल से अभिषेक किया गया। इसके पश्चात, दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया। मान्यता के अनुसार, श्रावण माह में शिव आराधना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
अभिषेक के बाद, भगवान महाकाल को तिलक, त्रिपुंड और कलात्मक आभूषण अर्पित कर, सुगंधित पुष्प से राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इसके बाद, बाबा को भस्म चढ़ाई गई। श्री महाकाल ने शेष नाग का रजत मुकुट , रजत मूँड की मला और ररुद्राक्ष की मला के साथ सुगंधित फूलों की मला धारण की , भस्मीभूत तथा पूर्ण शृंगार होने के बाद झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े और शंखनाद के साथ बाबा की भस्म आरती की गई।
आज महाकालेश्वर मंदिर में सुबह से ही उत्साह और आनंद का माहौल बना हुआ है, भक्तों ने बाबा के अत्यंत करीब रहने वाले नंदी महाराज के समीप जा कर उनके कानों मे अपने मनोकामनाए कह कर भोलेनाथ तक पहुचाने की विनती की साथ सभी बाबा के जयकारे भी लगा रहे थे । जय जय श्री महकल , जय जय शिव शंकर, हर हर महादेव , हर हर शंभू , ॐ नमः शिवाय के उद्घोष से मंदिर परिसर गूंज उठा । यह विशेष भस्म आरती भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव रही है, जो महाकालेश्वर की दिव्यता और शक्ति का आभास कराती है।