नए राज्यपाल की नियुक्ति पर आरक्षण बिल का मुद्दा गरमाया, कांग्रेस की मांग पर भाजपा का जवाब
रायपुर ( शिखर दर्शन ) // छत्तीसगढ़ में नए राज्यपाल की नियुक्ति के साथ ही एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है । कांग्रेस ने नए राज्यपाल रमन डेका को बधाई देते हुए उनकी उम्मीद जताई है कि वे सबसे पहले आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करेंगे , जबकि भाजपा ने कांग्रेस की आरक्षण नीति पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा “हम नए राज्यपाल से उम्मीद करते हैं कि वे आरक्षण बिल पर शीघ्र हस्ताक्षर करेंगे। छत्तीसगढ़ में आदिवासी वर्ग की संख्या काफी अधिक है और उनके हित में यह बिल महत्वपूर्ण है।” शुक्ला का मानना है कि राज्यपाल के हस्ताक्षर से आदिवासी समुदाय की समस्याओं का समाधान होगा और उनके अधिकार सुरक्षित रहेंगे।
वहीं भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने नए राज्यपाल की नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा “छत्तीसगढ़ में अब तक जितने भी राज्यपाल रहे हैं सभी ने राज्य के विकास और सामाजिक उत्थान के लिए काम किया है। हमें विश्वास है कि नए राज्यपाल भी इसी दिशा में काम करेंगे और राज्य की प्रगति को नई ऊचाइयों तक पहुंचाएंगे।”
भाजपा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में आरक्षण विरोधी रुख अपनाया था। भाजपा का कहना है कि आरक्षण बिल को लेकर कांग्रेस की नियत पर सवाल उठते हैं और यह मुद्दा राजनीतिक स्वार्थों की भेंट चढ़ गया है।
इस प्रकार नए राज्यपाल की नियुक्ति ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर तकरार जारी है और देखना होगा कि भविष्य में इस पर कैसे प्रगति होती है।
नए राज्यपाल की नियुक्ति से आरक्षण पर सियासत तेज , भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप
छत्तीसगढ़ में नए राज्यपाल की नियुक्ति के साथ ही आरक्षण को लेकर राजनीतिक विवाद एक बार फिर उभर आया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं । और दोनों दलों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने नए राज्यपाल की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्यपाल ने हमेशा प्रदेश के विकास के लिए काम किया है। उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर आरक्षण के खिलाफ होने का आरोप लगाया। गुप्ता ने कहा कि रमन सिंह की सरकार के दौरान 56% आरक्षण लागू किया गया था । लेकिन भूपेश बघेल की सरकार ने इस पर अपने ही कार्यकर्ताओं से याचिका दायर करवाई जिससे आरक्षण की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की गई। गुप्ता ने आरोप लगाया कि भूपेश सरकार की नीयत ठीक नहीं थी और वे आरक्षण के मुद्दे पर सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे । उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस द्वारा विधानसभा पटल पर आरक्षण का बेस रखने की बात झूठी है और अब राज्यपाल को दोषी ठहराया जा रहा है जो कि कांग्रेस की नीयत की समस्याओं को दर्शाता है।
इसके अलावा स्टील प्लांटों के बंद होने को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पिछली सरकार ने बिजली बिल को आधा कर दिया था । जिससे उद्योगों को लाभ हुआ था। अब वर्तमान सरकार ने बिजली बिल बढ़ा दिया है जिससे छोटे उद्योग संकट में हैं। शुक्ला ने आरोप लगाया कि बिजली बिल में वृद्धि छोटे उद्योगों को अदाणी के अधीन करने की एक साजिश है और इससे उद्योगों की स्थिति खराब हो रही है।
इस पर भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि भाजपा हमेशा विकास की राह पर चलती है और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों की मांगों पर विचार किया जाएगा और मान्य मांगों को पूरा किया जाएगा। गुप्ता ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे विपक्ष में रहते हुए केवल आरोप लगाने का काम करती हैं और अडानी के नाम पर राजनीति कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अडानी की कोयला खदान के लिए अनुमति देने का आरोप भूपेश बघेल पर लगाया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस का आरोप निराधार है और उनके नेताओं ने अडानी से साठगांठ की थी।
कांग्रेस संचार प्रमुख ने निगम-मंडल की नियुक्तियों को लेकर भी भाजपा पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ छलावा कर रही है क्योंकि सात महीनों में निगम-मंडलों की नियुक्ति नहीं की गई है। शुक्ला ने कहा कि भाजपा सरकार कुछ मंत्रियों के लिए काम कर रही है और बृजमोहन अग्रवाल को विधानसभा से बाहर करके संसद भेज दिया गया है जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय हुआ है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केदार गुप्ता ने कहा कि निगम-मंडल की नियुक्ति कोई उपकृत करने का मामला नहीं है बल्कि यह एक सेवा का पद है। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता बिना पद के भी जनता की सेवा करते हैं और निगम-मंडल की नियुक्तियों पर उनकी कोई विशेष चिंता नहीं है। गुप्ता ने यह भी कहा कि भूपेश सरकार के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई थी । लेकिन कांग्रेस ने निगम-मंडल की नियुक्ति पर ध्यान नहीं दिया था। भाजपा का कहना है कि उनका मुख्य लक्ष्य सेवा करना है न कि निगम-मंडल की नियुक्तियों पर ध्यान केंद्रित करना ।
इस प्रकार नए राज्यपाल की नियुक्ति ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण और उद्योगों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है और यह देखना बाकी है कि इस पर आगे क्या विकास होता है ।