मध्यप्रदेश

शहडोल के बीमार जिला अस्पताल में मरीजों के साथ सो रहे आवारा कुत्ते , 300 बिस्तर वाले हॉस्पिटल में मरीज़ जमीन पर लेटने को मजबूर…

**शहडोल में सरकारी अस्पताल की स्थिति पर सवाल: मरीजों के साथ कुत्ते भी इलाज के लिए पहुंच रहे**

शहडोल (शिखर दर्शन )// मध्यप्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा कर रही है , लेकिन शहडोल संभाग के एकमात्र कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल की स्थिति इसके विपरीत तस्वीर पेश करती है। यहां मरीजों के साथ-साथ आवारा कुत्ते भी इलाज कराने पहुंच रहे हैं , जिससे अस्पताल की व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

अस्पताल की खराब व्यवस्था का हाल यह है कि यहां गंदगी का ढेर लगा हुआ है। मरीज जमीन पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर हैं। इसके अलावा , अस्पताल के सीटी स्कैन कक्ष में आवारा कुत्तों का कब्जा है। ये कुत्ते मरीजों के साथ बैठते और लेटते हैं , जिससे संक्रमण का खतरा और कुत्तों के काटने से जान का खतरा बढ़ गया है।

बदहाली की दास्तां यहीं खत्म नहीं होती…

यहां एक्स-रे के बाद मरीजों को फिल्म नहीं दी जाती , रिपोर्ट सीधे मोबाइल में दिखा दी जाती है। सोनोग्राफी के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं। जिला अस्पताल में आवारा कुत्ते भी सीटी स्कैन कराने आते हैं। इसके अलावा , आस-पास के जिलों और छत्तीसगढ़ से भी लोग इलाज के लिए यहां आते हैं।

यहां स्वास्थ्य अधिकारी , कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी मौजूद हैं , लेकिन अव्यवस्था के प्रति उनकी आदत बन चुकी है , 300 बिस्तर वाले इस अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक होती है। अस्पताल प्रबंधन संसाधनों की कमी के बजाय मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज करने में विश्वास करता है।

जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती मरीजों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलते। अस्पताल प्रबंधन एंबुलेंस नहीं होने की बात करके मरीजों को लौटा देता है। जबकि परिसर में ही एक दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस खड़ी हैं। इसके साथ ही जैव अवशिष्ट जगह-जगह फैला है। मजबूरन यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को मुंह में कपड़ा बांधकर आना पड़ता है।

शहडोल के कलेक्टर तरुण भटनागर ने बदहाल जिला अस्पताल की समस्याओं को हल करने और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सप्ताह के सातों दिन सात अधिकारियों की ड्यूटी लगाई। इनमें एडीएम, जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम, ज्वाइंट कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर और अन्य अधिकारी शामिल थे ।


“कलेक्टर का आदेश कुछ दिनों तक लागू रहा , लेकिन इसके बाद यह प्रभावहीन हो गया। अस्पताल में बढ़ती अव्यवस्था को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी भी अब जिला अस्पताल से नाराज हैं।”

प्रभारी सीएस मुकुंद चतुर्वेदी ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अस्पताल में अभी सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने गंदगी और कुत्तों के अस्पताल में प्रवेश को लेकर कहा कि सफाई के लिए कर्मचारी और सिक्योरिटी गार्ड नियुक्त हैं , जो इस पर निगरानी रखें। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामला उनके संज्ञान में है और इसे शीघ्र जांचा जाएगा।

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