21 जुलाई श्री महाकाल शृंगार आरती दर्शन : भांग, चंदन और आभूषणों से बाबा महाकाल का हुआ दिव्य श्रृंगार
विशेष संवाददाता छमू गुरु
उज्जैन ( शिखर दर्शन ) // विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भव्य आयोजन हुआ। रविवार की तड़के सुबह 4 बजे मंदिर के पवित्र कपाट खोले गए और भगवान महाकाल के दर्शन की प्रक्रिया आरंभ हुई।
पूजा की शुरुआत भगवान महाकाल का जलाभिषेक से हुई। इस पवित्र अभिषेक के लिए मंदिर के पुजारियों ने विशेष तैयारी की थी। जल से अभिषेक के बाद भगवान महाकाल का दूध, दही, घी, शहद और विभिन्न फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक किया गया।
इस दिव्य अनुष्ठान में विशेष श्रद्धा और भक्ति का माहौल था। पुजारीगणों ने मंत्रोच्चारण के साथ भगवान महाकाल की आराधना की। भांग, चंदन और आभूषणों से भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया, जिससे मंदिर का वातावरण अत्यंत पावन और अलौकिक हो उठा। श्रद्धालु भक्तजन बड़ी संख्या में उपस्थित होकर इस दिव्य आरती का लाभ उठाने और भगवान महाकाल के दर्शन करने पहुंचे। इस अद्वितीय पूजा-अर्चना ने सभी के मन को शांति और संतोष प्रदान किया, और भगवान महाकाल का आशीर्वाद सभी पर बना रहा। भगवान महाकाल का भांग, चंदन और आभूषणों से दिव्य श्रृंगार किया गया। महाकाल को भस्म चढ़ाई गई। बाबा महाकाल ने शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्पों की माला धारण की। फल और मिष्ठान का भोग भी लगाया गया।
सुबह भस्म आरती के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर आत्मिक आनंद महसूस किया । भक्तगण नंदी महाराज के दर्शन करने के उपरांत उनके कान के समीप जाकर नंदी महाराज के कान में अपनी इच्छाओं को कहने की प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए, भक्तों ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना की , साथ ही अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा। इस दौरान श्रद्धालु बाबा महाकाल की जयकारे भी लगा रहे थे, जिससे पूरा मंदिर जय जय श्री महाकाल , हर हर शंभू , हर हर महादेव , ॐ नमः शिवाय के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
पूजा के इस भव्य आयोजन में भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला ने भगवान की प्रतिमा को अलौकिक बना दिया। इसके साथ ही सुगंधित पुष्पों की माला ने माहौल को और भी पावन बना दिया