श्री महाकालेश्वर मंदिर, जुलाई: भस्म आरती और शृंगार दर्शन की अद्भुत झलक

उज्जैन (शिखर दर्शन ) // मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में 8 जुलाई की सुबह एक अनूठा और भव्य आयोजन हुआ। इस दिन भक्तों ने भगवान शिव की भस्म आरती और शृंगार दर्शन का अद्भुत अनुभव प्राप्त किया। आइए, जानते हैं इस दिव्य आरती और शृंगार दर्शन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में
भस्म आरती: एक अद्वितीय परंपरा:
भस्म आरती महाकालेश्वर मंदिर की एक विशेष और अनूठी परंपरा है। यह आरती प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है, जो करीब 4 बजे से शुरू होती है। जुलाई को भी भस्म आरती की इस परंपरा को श्रद्धालुओं ने अत्यंत भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया।
आरती के दौरान भगवान महाकाल की पूजा भस्म (राख) से की जाती है, जिसे भक्तिमय माहौल में मंत्रोच्चार और दीपों की रौशनी के साथ संपन्न किया जाता है। यह भस्म प्राचीन समय से शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और इसे भगवान शिव के अनादि और अनंत स्वरूप का प्रतीक माना जाता है।
भस्म आरती शृंगार दर्शन: अद्भुत आभा का अनुभव
भस्म आरती के बाद, भगवान महाकाल का शृंगार दर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के दिव्य रूप और सौंदर्य का अनुभव किया। भगवान का शृंगार विभिन्न प्रकार के फूलों, वस्त्रों और आभूषणों से किया गया था, जो देखने में अत्यंत मोहक और आकर्षक था।
मंदिर के पुजारियों ने भगवान महाकाल का भव्य श्रृंगार करते समय उन्हें विशेष परिधान, माला, और मुकुट से सजाया। इस दर्शन के दौरान भक्तों ने भगवान शिव के दिव्य रूप का दर्शन करते हुए उनकी अनंत कृपा का अनुभव किया। शृंगार दर्शन के बाद भक्तों ने आरती में हिस्सा लिया और भगवान शिव से अपने परिवार और समाज के कल्याण की प्रार्थना की।
भक्तों की भावनाएं और आस्था
10 जुलाई को महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। भक्तों ने बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस अद्वितीय अवसर का लाभ उठाया और भगवान शिव की भस्म आरती और शृंगार दर्शन के माध्यम से अपने जीवन को धन्य किया।
श्रद्धालुओं का मानना है कि महाकालेश्वर के दर्शन से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। इस पवित्र अवसर पर लोगों ने अपने परिवार और प्रियजनों के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद की कामना की।
