4 जुलाई श्री महाकाल भस्म आरती शृंगार दर्शन :

उज्जैन//(शिखर दर्शन) मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के अवसर पर प्रातः 4 बजे विशेष भस्म आरती का आयोजन हुआ। मंगलवार की सुबह मंदिर के कपाट खोले गए और भगवान महाकाल का पवित्र गंगा जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया।
अभिषेक :
भगवान महाकाल का सबसे पहले पवित्र गंगा जल से अभिषेक किया गया।
इसके बाद पंचामृत से अभिषेक पूजन हुआ, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस का प्रयोग किया गया।
श्रृंगार :
बाबा महाकाल के मस्तक पर त्रिपुंड तिलक लगाया गया और भांग, चंदन तथा आभूषणों से दिव्य श्रृंगार किया गया।
भगवान महाकाल को भस्म कर दिया गया, जो इस आरती का मुख्य आकर्षण होता है।
भगवान महाकाल ने शेषनाग का रजत मुकुट, चांदी की मुंडमाल, रुद्राक्ष की माला और उत्सव के फूलों की माला धारण की।
भोग :
भगवान महाकाल को उज्जैन शहर की प्रसिद्ध मिठाइयों का भोग लगाया गया।
सैकड़ों भक्तों ने सुबह की भस्म आरती में भाग लिया और भगवान महाकाल के दर्शन कर आत्मिक आनंद प्राप्त किया।
भगवान ने नंदी महाराज के कान में जाकर अपनी मनोकामनाओं वाले व्यक्तियों की और बाबा महाकाल तक की विनती की।
श्री महाकालेश्वर मंदिर बाबा महाकाल के जयकारे जय जय श्री महाकाल, हर हर महादेव हर हर शंभू ॐ नमः शिवाय से गूंज रहा था, जिससे पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया।

इस भस्म आरती के आयोजन में भाग लेना भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव था। भस्म आरती का यह विशेष अवसर भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि का संचार करता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे देखने के लिए देश-विदेश से आते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर :

श्री महाकालेश्वर मंदिर, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है, शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यहाँ की भस्म आरती विशेष रूप से प्रसिद्ध है और यह आरती केवल ब्रह्म मुहूर्त में ही होती है। इस आरती में भस्म का उपयोग किया जाता है, जिसे भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। भस्म आरती को देखने के लिए पहले से पंजीकरण करना होता है और इसमें शामिल होने का अवसर मिलना एक बहुत बड़ा सौभाग्य माना जाता है।
महाकालेश्वर मंदिर में आज की भस्म आरती एक अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव था। भगवान महाकाल के दिव्य स्वरूप और अद्भुत श्रृंगार ने भक्तों को आध्यात्मिक आनंद और शांति का अनुभव प्रदान किया। जयकारों और भक्तिमय वातावरण ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया।