“नायक बंजारा” समाज का महासम्मेलन हुआ संपन्न….माघी पूर्णिमा के उपलक्ष्य में देश भर से समाज के लोग हुए एकत्रित , सांस्कृतिक कार्यक्रमों की हुई प्रस्तुति !

बिलासपुर //शिवरीनारायण //(शिखर दर्शन) // सनातन धर्म की मान्यता अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन का विशेष महत्तव होता है और इस शुभ दिन के अवसर पर नायक बंजारा समाज के लोगों ने समाज का वार्षिक महासम्मेलन विश्व प्रसिद्ध “शबरी की नगरी” शिवरीनारायण में आयोजित किया गया ।

जिसमे छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश , उड़ीसा के अलावा पूरे भारत वर्ष के बंजारा समुदाय के हजारों की संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित हुए ।

हर वर्ष की तरह इस माघी पूर्णिमा में भी नायक समाज के द्वारा वार्षिक महासम्मेलन आयोजित किया गया जिसमे हजारों की संख्या में बंजारा समाज ने अपने आराध्य देव गुरुनानक जी एवम संत सेवा लाल महराज जी के चित्र पर फूल माला अर्पित कर दीप प्रज्वलित किए इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत की गई ।
नायक बंजारा समाज महासभा शिवरीनारायण के अध्यक्ष श्री गोकुल नायक के उद्बोधन पश्चात सभी अतिथियों का फूल माला के साथ स्वागत किया गया । साथ ही साथ देश के कोने-कोने से आए प्रबुद्ध जनों को आत्मीय सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया ।

बंजारा समाज के इस वृहद सम्मेलन में विशेष तौर पर महिलाओं और पुरुषों के अलावा बच्चों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक व ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दी गई ।

नायक बंजारा समाज के युवा नेता सुरेंद्र नायक ने बताया कि बंजारा समाज देश और दुनिया की तरक्की में एक अलग अहमियत रखता है । उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में समाज के लोगों की आबादी लगभग साढ़े तीन लाख है । सुरेंद्र नायक ने बताया कि लगभग पूरे भारत वर्ष में बंजारा समाज की “रीति रिवाज” “परंपराएं” और “बोली” लगभग एक जैसी ही है । कश्मीर से कन्याकुमारी तक बंजारा समाज के लोग भले ही क्षेत्रीयता के आधार पर क्षेत्रीय भाषाओं में निपुण हो परंतु जब जरूरत पड़ती है आपसी संवाद की तब ऐसी स्थिति में इनके पूर्वज एक पारंपरिक बोली विकसित करके गए हैं जिसे आज भी बंजारा समाज उसका समुचित रूप से निर्वहन कर रहा है । और जब जरूरत पड़ती है तब यही बोली किसी भी क्षेत्र में एक दूसरे से संवाद स्थापित करने के समय कम आती है । जिससे कि किसी भी क्षेत्र का एक बंजारा व्यक्ति दूसरे क्षेत्र के बंजारा व्यक्ति की भावनाओं और बातों को अच्छी तरह समझ सकता है और अपनी बात सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचा सकता है ।

सुरेंद्र नायक ने आगे कहा कि नायक बंजारा समाज किसी भी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति से भली भांति परिचित है । चाहे कितना भी घनघोर जंगल क्यों ना हो एक गांव से दूसरे गांव तक का सफर हो या फिर शहर दर शहर बंजारा समाज के लोगों को दिशाओं और दशाओं का अत्यधिक ज्ञान होता है । जो कि उन्हें उनके पूर्वजों से पारंपरिक रूप से विरासत में मिला है यही वजह है कि जब भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन हुआ तब ईस्ट इंडिया कंपनी की विस्तारवादी नीतियों के तहत कंपनी को भारत वर्ष में रेल लाइन बिछाने के लिए घने जंगलों से होकर रास्ता निकालने में बंजारा समाज की मदद लेनी पड़ी तब जाकर भारत वर्ष में रेल पटरिया स्थापित हो पाई । यह बड़े ही गर्व की बात है कि नायक बंजारा समाज का इतना बड़ा योगदान व मार्गदर्शन तत्कालीन प्रशासन को लाभ स्वरूप प्राप्त हुआ था ।

श्री नायक ने कहा कि बहुत ही अफसोस की बात है कि आज देश की सरकार व उसकी नीतियों का फायदा बंजारा समाज को नहीं मिल पा रहा है । जिसके कारण आज पूरा बंजारा समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है । जबकि समाज में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं मौजूद हैं बावजूद इसके हमें देश और समाज की मुख्य धारा से तिरस्कृत किया हुआ महसूस होता है । उन्होंने सरकार से ऐसी नीतियां बनाने का आग्रह किया है जिससे कि वर्षों से अपेक्षा का शिकार रहे बंजारा समाज को सामाजिक और आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने में सार्थक सिद्ध हो ।
इस कार्यक्रम में बंजारा समाज के सभी युवा साथियों का विशेष योगदान रहा ।