रक्षा बंधन: प्रेम, विश्वास और संरक्षण का पवित्र बंधन

रक्षा बंधन, जिसे संक्षेप में “राखी” भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और भावनात्मक पर्व है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते, आपसी प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की सुरक्षा के संकल्प का प्रतीक है। लेकिन इसकी महत्ता केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है; यह मित्र, गुरु-शिष्य, पड़ोसी, या किसी भी ऐसे संबंध में मनाया जा सकता है, जिसमें एक-दूसरे की रक्षा और सम्मान का वचन हो।
रक्षा बंधन की ऐतिहासिक शुरुआत
रक्षा बंधन का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और इसकी जड़ें पौराणिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक कथाओं में मिलती हैं।

- महाभारत काल: सबसे प्रसिद्ध कथा द्रौपदी और श्रीकृष्ण की है। जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल वध के समय सुदर्शन चक्र से अपनी अंगुली काट ली, तो द्रौपदी ने अपने आंचल का एक टुकड़ा बांधकर रक्त रोक दिया। बदले में श्रीकृष्ण ने वचन दिया कि वे हमेशा उसकी रक्षा करेंगे।
- राजपूत इतिहास: मध्यकाल में रानी कर्णावती (चित्तौड़ की रानी) ने बहादुर शाह के आक्रमण से बचाव के लिए मेवाड़ के राजा हुमायूं को राखी भेजी थी, जिसे हुमायूं ने बहन का मानकर चित्तौड़ की रक्षा की।
- ब्रह्मा और इंद्राणी कथा: पौराणिक मान्यता है कि देवासुर संग्राम में जब इंद्र देव पराजय के संकट में थे, तो उनकी पत्नी इंद्राणी ने रक्षा सूत्र बांधा, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई।
त्योहार का महत्व
- संबंध का संविदा (Contract) रूप: यह केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं, बल्कि आपसी सुरक्षा, प्रेम और विश्वास का लिखित न होकर मौखिक एवं भावनात्मक संविदा है। इसमें राखी बांधने वाला सुरक्षा का अधिकार मांगता है और राखी स्वीकार करने वाला उसकी रक्षा का संकल्प लेता है।
- सामाजिक सौहार्द: रक्षा बंधन जाति, धर्म, वर्ग की सीमाओं को पार कर समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।
- महिलाओं के अधिकार और सम्मान का प्रतीक: यह पर्व महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की सामाजिक प्रतिज्ञा को मजबूत करता है।
वैज्ञानिक कारण
भारतीय परंपरा में त्योहार केवल धार्मिक भावनाओं से नहीं, बल्कि प्रकृति और स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से भी जुड़े हैं।
- श्रावण मास का समय: रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है, जब मानसून अपने चरम पर होता है। इस मौसम में संक्रामक रोग फैलने की संभावना अधिक रहती है। राखी के धागे में हल्दी, चंदन, केसर आदि का प्रयोग किया जाता है, जो जीवाणुरोधी और स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर होते हैं।
- मनौवैज्ञानिक प्रभाव: किसी का संरक्षण और साथ मिलने का भाव तनाव कम करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- संरक्षण का व्रत: रक्षा बंधन में “रक्षा” का अर्थ केवल शारीरिक सुरक्षा नहीं, बल्कि मान-सम्मान, मर्यादा और सुख-समृद्धि की रक्षा भी है।
- ईश्वर को राखी: कई स्थानों पर बहनें या महिलाएं अपने आराध्य देव, गुरु या संत को भी राखी बांधती हैं, जो यह दर्शाता है कि यह बंधन दिव्य सुरक्षा का भी प्रतीक है।
- दान और पुण्य: इस दिन पवित्र स्नान, पूजा और दान का विशेष महत्व है। पूर्णिमा तिथि होने से यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।
आज के समय में रक्षा बंधन
आधुनिक युग में रक्षा बंधन केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं रहा। स्कूलों, दफ्तरों, सेना के जवानों, पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों तक राखी बांधकर सुरक्षा और सेवा की भावना का सम्मान किया जाता है। कई जगह इसे “विश्व बंधुत्व दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है।
निष्कर्ष
रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति का एक ऐसा अनमोल पर्व है, जो केवल रिश्तों को जोड़ता ही नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग और विश्वास की अमर मिसाल भी पेश करता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में रिश्तों की सुरक्षा और सम्मान ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।