पीएम मोदी के चीन दौरे पर अमेरिकी प्रतिक्रिया: व्यापार असंतुलन और रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप का सख्त रुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन दौरे पर जा रहे हैं। यह उनकी 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प के बाद पहली चीन यात्रा होगी। इस दौरे का समय खास है, क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है और भारत-चीन की बढ़ती नजदीकियों पर अमेरिकी असंतोष खुलकर सामने आया है।
व्हाइट हाउस में विदेश विभाग के प्रिंसिपल उपप्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ व्यापार असंतुलन को लेकर स्पष्ट हैं, खासकर रूस से सस्ता तेल खरीदने के मुद्दे पर। उन्होंने कहा कि “आप हमेशा अपने साझेदार देशों से 100% सहमत नहीं हो सकते, लेकिन भारत के साथ हमारे अच्छे और दोस्ताना संबंध हैं, जो जारी रहेंगे।”
पिगॉट से जब पूछा गया कि क्या अमेरिका को चिंता है कि टैरिफ के खिलाफ BRICS देश एकजुट हो रहे हैं, तो उन्होंने दोहराया कि राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे पर स्पष्ट हैं और इस पर सीधा एक्शन भी ले चुके हैं। गौरतलब है कि ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया था। हाल में ट्रंप ने BRICS देशों पर डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने का आरोप भी लगाया है।
मोदी-जिनपिंग की पिछली मुलाकात और दौरे का महत्व
मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में BRICS समिट के दौरान हुई थी, जहां 50 मिनट की द्विपक्षीय वार्ता में मोदी ने सीमा पर शांति, आपसी विश्वास और सम्मान को संबंधों की नींव बताया था। प्रधानमंत्री अब तक पांच बार चीन का दौरा कर चुके हैं — मई 2015, सितंबर 2016, सितंबर 2017, अप्रैल 2018 और जून 2018 में।
पिछले महीने विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी पांच साल बाद चीन गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस दौरान LAC पर तनाव कम करने, जल संसाधन डेटा साझा करने, व्यापार प्रतिबंधों को घटाने और आतंकवाद व उग्रवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी मुलाकात ने पीएम मोदी की चीन यात्रा का रास्ता तैयार किया।