8 अगस्त श्री महाकाल भस्म आरती: रत्नजड़ित आभूषणों और दिव्य श्रृंगार में सजे बाबा महाकाल, सावन की चतुर्दशी पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

उज्जैन ( शिखर दर्शन ) // विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सावन माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शुक्रवार तड़के 3 बजे मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन हेतु खोले गए। सबसे पहले भगवान महाकाल का जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन संपन्न हुआ।

भस्म आरती में आज बाबा महाकाल का श्रृंगार अत्यंत अलौकिक और मनमोहक रहा। त्रिपुंड, चंद्र और त्रिनेत्र से सजे भगवान के मुख पर अद्भुत तेज झलक रहा था। शेषनाग का रजत मुकुट, चमकदार रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों की हार से उनका भव्य रूप और निखर गया। बाबा को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया, जिनकी खुशबू पूरे गर्भगृह में फैलकर वातावरण को दिव्यता से भर रही थी। रत्नजड़ित आभूषणों की चमक दीपों की रोशनी में दमक रही थी, मानो बाबा स्वयं सृष्टि के नाथ रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हों। ड्रायफ्रूट से किया गया विशेष श्रृंगार उन्हें और भी राजसी आभा प्रदान कर रहा था। फल और मिष्ठान का भोग अर्पित कर पूजन संपन्न हुआ।
भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित किया। गर्भगृह में गूंजते ढोल, नगाड़ों और शंख की ध्वनि, साथ ही भक्तों के जय जय श्री महाकाल, हर हर महादेव, हर हर शंभू और ॐ नमः शिवाय के गगनभेदी जयकारों ने मंदिर परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। श्रद्धालुओं ने नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामनाएं फुसफुसाकर भोलेनाथ तक पहुंचाने की विनती की ।
मंदिर के बाहर का दृश्य भी अत्यंत भावुक और श्रद्धा से भरा था। गलियों में कतारबद्ध खड़े भक्त हाथों में पूजन थाल, बेलपत्र, पुष्प और प्रसाद लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। कई श्रद्धालु बाबा के नाम का स्मरण करते हुए भजन गा रहे थे, तो कुछ आंखें मूंदकर ध्यान में लीन थे। दूर से आती घंटियों और हर-हर महादेव के जयकारों की ध्वनि ने पूरे शहर का वातावरण शिवमय कर दिया। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर किसी के चेहरे पर बाबा के दर्शन की ललक और भक्ति का भाव साफ झलक रहा था।