वैश्विक तेजी के बीच भारतीय शेयर बाजार फिसला: सेंसेक्स 445 अंक टूटा, निफ्टी भी 144 अंक गिरा

मुंबई (शिखर दर्शन) //
7 अगस्त की सुबह जब निवेशकों ने बाजार के स्क्रीन खोले, तो उन्हें वैश्विक बाजारों से मिल रहे सकारात्मक संकेतों के आधार पर मजबूती की उम्मीद थी। लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत। बीएसई सेंसेक्स 445.34 अंक यानी 0.55% टूटकर 80,098.65 के स्तर पर बंद हुआ, वहीं एनएसई निफ्टी भी 144.20 अंकों की गिरावट के साथ 24,430.00 पर आ गया। यह गिरावट सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका असर पूरे कारोबारी सत्र में बना रहा।
बाजार के 30 में से 26 शेयर लाल निशान में बंद हुए, जबकि केवल 4 स्टॉक्स ही हरे निशान में टिक पाए। गिरावट की अगुवाई बैंकिंग, ऑटो और आईटी जैसे मुख्य सेक्टरों ने की—जो आम तौर पर निवेशकों की मजबूत पसंद माने जाते हैं।
यह स्थिति तब और भी हैरान करने वाली हो गई जब एशियाई और अमेरिकी बाजारों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली।
जापान का निक्केई 0.78% चढ़कर 41,110 पर बंद हुआ।
कोरिया का कोस्पी 0.45% की तेजी के साथ 3,212 पर
हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग 0.35% की बढ़त के साथ 25,022 पर
चीन का शंघाई कंपोजिट 0.12% की तेजी के साथ 3,638 पर बंद हुआ।
उधर, अमेरिकी बाजारों में भी सकारात्मक रुझान रहा—
डाउ जोंस 0.18% की बढ़त के साथ 44,193 पर
नैस्डैक 1.21% चढ़कर 21,169 पर
एसएंडपी 500 ने 0.75% की बढ़त के साथ 6,345 का आंकड़ा छू लिया।
अब सवाल यह उठता है कि जब पूरी दुनिया के बाजार हरियाली में थे, तो भारतीय शेयर बाजार क्यों लड़खड़ा गया?
विशेषज्ञों की मानें तो यह गिरावट महज़ तकनीकी सुधार (technical correction) हो सकती है, लेकिन कुछ बाजार विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू स्तर पर मुनाफावसूली, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और आगामी आर्थिक आंकड़ों को लेकर सतर्कता ने बाजार पर दबाव डाला है।
इस गिरावट के पीछे क्या कोई बड़ी आर्थिक चेतावनी छिपी है या यह बस एक अस्थायी झटका है—यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल, निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।