मध्यप्रदेश

बिजली कटी तो ‘करंट’ लौटाया: तहसीलदार का कनेक्शन काटा, जवाब में MPEB को थमाया ₹16 लाख का वसूली नोटिस , बिजली विभाग के छूटे पसीने

छिंदवाड़ा (शिखर दर्शन) // मध्य प्रदेश के नवगठित पांढुर्णा जिले में शनिवार को एक ऐसा प्रशासनिक टकराव सामने आया, जिसने पूरे शहर में हलचल मचा दी। यह टकराव हुआ राजस्व विभाग और मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी (MPEB) के बीच—और वह भी इतने तीखे अंदाज़ में कि मामला अफसरशाही की प्रतिष्ठा का बन गया।

पहला करंट: तहसीलदार की सरकारी आवास की बिजली कटी
शनिवार सुबह MPEB डिवीजन के नवपदस्थ कार्यपालन अभियंता (डीई) ने सभी कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि बिजली बिल की बकाया वसूली में कोई रियायत नहीं दी जाएगी, चाहे वह आम हो या खास। आदेश के चंद घंटों बाद ही शहर के जेई ने सिविल लाइन स्थित तहसीलदार विनय प्रकाश ठाकुर के सरकारी निवास का कनेक्शन काट दिया। कारण—करीब ₹40,000 का बकाया बिजली बिल, जो महीनों से लंबित था, लेकिन पहले कभी किसी ने कार्रवाई नहीं की।

कलेक्टर के करीबी अफसर की बिजली गुल होते ही मचा हड़कंप
तहसीलदार की बिजली कटते ही पूरा अमला सक्रिय हो गया। छोटे बिजली कर्मचारी फोन बंद कर गायब हो गए और तहसील कार्यालय का स्टाफ लाइनमैन की खोज में शहर भर में दौड़ने लगा। तकरीबन 3-4 घंटे के प्रयासों और दबाव के बाद बिजली बहाल हो सकी।

दूसरा वार: तहसीलदार ने MPEB को थमाया ₹16 लाख का नोटिस
बिजली कटने से आहत तहसीलदार ने उसी दिन एमपीईबी के रिकॉर्ड खंगाल डाले। पता चला कि विभाग पर 2020-21 से 2025 तक का डायवर्सन टैक्स करीब ₹16 लाख बकाया है। तहसीलदार ने तुरंत राजस्व वसूली का नोटिस जारी कर दिया—एक तरह से जवाबी कार्रवाई करते हुए कहा, “तुमने मेरी बिजली ₹40 हजार के लिए काटी, मैं तुम्हारे 16 लाख की कुर्की करूंगा।”

अब शहर में गर्म चर्चा: थमेगी तकरार या चलेगा अगला राउंड ?
इस घटना ने पूरे पांढुर्णा में चर्चा का विषय बना दिया है। लोगों के बीच सवाल है—क्या यह मामला बातचीत से सुलझेगा या अफसरशाही के बीच यह “वार-पलटवार” आगे और तीखा होगा? फिलहाल, नवगठित जिले की यह घटना प्रशासनिक हलकों की सबसे यादगार भिड़ंत बन चुकी है।

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