तहसीलदार-नायब तहसीलदारों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की समाप्त , प्रमुख मांगों पर बनी सहमति

रायपुर (शिखर दर्शन) // 17 सूत्रीय मांगों को लेकर 28 जुलाई से आंदोलनरत छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगित कर दी है। बुधवार को राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा से हुई सकारात्मक चर्चा के बाद संघ ने प्रदेशव्यापी हड़ताल को समाप्त करने का निर्णय लिया।
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि संघ की प्रमुख मांगों पर सहमति बन चुकी है और शेष मांगों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आंदोलन के कारण रुके हुए राजस्व कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाएगा, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
संघ के प्रांताध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने बताया कि जनता की सुविधा और मंत्री के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हड़ताल को स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्री ने मांगों पर त्वरित निर्णय का आश्वासन दिया है, जिससे संघ ने आंदोलन खत्म करने का निर्णय लिया।
किन मांगों को लेकर हो रहा था आंदोलन ?
तहसीलदार और नायब तहसीलदार 17 सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन कर रहे थे, जिनमें प्रमुख मांगें थीं:
- सभी तहसीलों में स्वीकृत सेटअप की पदस्थापना और स्टाफ की व्यवस्था।
- तहसीलदारों की डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति प्रक्रिया का शीघ्र क्रियान्वयन।
- नायब तहसीलदार पद को राजपत्रित श्रेणी में शामिल करने की मांग।
- लंबित ग्रेड पे सुधार और शासकीय वाहन की उपलब्धता।
- बिना विधिक प्रक्रिया के निलंबित अधिकारियों की 15 दिन में बहाली।
- न्यायालयीन मामलों में उचित व्यवस्था और एफआईआर से सुरक्षा।
- स्टाफ की नियुक्ति के लिए तहसीलदार को अधिकृत करने की मांग।
- प्रशिक्षित ऑपरेटर की नियुक्ति, मोबाइल नंबर की गोपनीयता, राजस्व न्यायालयों की सुरक्षा व्यवस्था।
- सड़क दुर्घटना सहित अन्य आपात स्थिति में मुआवजा राशि देने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन।
- संघ की विधिवत मान्यता और राजस्व न्यायालय सुदृढ़ीकरण के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन।
प्रशासनिक कार्यों में अब आएगी गति
हड़ताल के कारण कई तहसीलों में राजस्व संबंधी कार्य प्रभावित थे। अब आंदोलन समाप्त होने से जमीन की रजिस्ट्री, नामांतरण, सीमांकन सहित अन्य जरूरी कामों में फिर से गति आने की उम्मीद है।
सरकार और संघ के बीच बनी सहमति को लेकर राजस्व विभाग में सकारात्मक माहौल है। अब यह देखना होगा कि आश्वासन कितनी शीघ्रता से धरातल पर उतरते हैं और तहसील स्तर पर व्यवस्था कितनी मजबूत होती है।