रायपुर संभाग

“संसाधन नहीं तो काम नहीं”: छत्तीसगढ़ के तहसीलदारों ने अनोखे प्रदर्शन में किया रक्तदान, 17 सूत्रीय मांगों पर सरकार से अब तक नहीं हुई बातचीत

रायपुर (शिखर दर्शन) //
छत्तीसगढ़ में तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर बीते एक सप्ताह से लगातार आंदोलनरत हैं। “संसाधन नहीं तो काम नहीं” के नारे के साथ राजधानी रायपुर के तूता धरना स्थल पर सोमवार को इन अधिकारियों ने अनोखा प्रदर्शन करते हुए सामूहिक रक्तदान किया और सरकार से मांगों को शीघ्र पूरा करने की अपील की।

इस आंदोलन के चलते प्रदेशभर के तहसील कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है, जिससे हजारों भूमि संबंधित मामलों की सुनवाई और निपटारा रुका हुआ है। इससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

अब तक सरकार से नहीं हुई कोई बातचीत

राजस्व विभाग के अधीन काम करने वाले इन अधिकारियों का यह आंदोलन 28 जुलाई से छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले चरणबद्ध रूप से जारी है। लेकिन अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई संवाद या पहल नहीं हुई है। तहसीलदारों का कहना है कि राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा से भी कोई बातचीत नहीं हो सकी है, जिससे नाराजगी और असंतोष बढ़ता जा रहा है।

जानिए क्या हैं तहसीलदारों की 17 प्रमुख मांगें:

  1. सभी तहसीलों में स्वीकृत पदों की नियमित पदस्थापना
  2. कंप्यूटर ऑपरेटर, KGO, नायब नाजिर, जमादार, वाहन चालक सहित आवश्यक स्टाफ की बहाली
  3. तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर तक पदोन्नति प्रक्रिया में 50:50 का अनुपात यथावत रखना
  4. नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित घोषित कर उसकी घोषणा का क्रियान्वयन
  5. लंबित ग्रेड पे में शीघ्र सुधार
  6. प्रत्येक तहसील को शासकीय वाहन अथवा वाहन भत्ता दिया जाए
  7. बिना वैध प्रक्रिया के निलंबित अधिकारियों को 15 दिन में जांच पूर्ण कर बहाल किया जाए
  8. न्यायालयीन मामलों में FIR से बचाव हेतु स्पष्ट आदेश लागू हों
  9. प्रोटोकॉल ड्यूटी से अलग न्यायालयीन कार्य के लिए समुचित व्यवस्था की जाए
  10. आउटसोर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति का अधिकार तहसीलदार को दिया जाए
  11. तकनीकी योजनाओं हेतु प्रशिक्षित ऑपरेटर की नियुक्ति
  12. SLR/ASLR की भू-अभिलेखीय कार्यों में पुनर्बहाली
  13. पदेन सरकारी मोबाइल नंबर और डिवाइस उपलब्ध कराना
  14. प्रत्येक तहसील में सुरक्षाकर्मी और फील्ड भ्रमण के लिए वाहन उपलब्ध कराना
  15. सड़क दुर्घटना और अन्य आपात स्थितियों में मुआवजा वितरण की स्पष्ट गाइडलाइन जारी करना
  16. संघ को मान्यता देकर शासन स्तर पर वार्ता का अधिकार देना
  17. राजस्व न्यायालयों के सुदृढ़ीकरण हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन

जनता हो रही है परेशान

तहसील कार्यालयों के ठप होने से आम नागरिकों को जमीन से जुड़े कार्यों के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिल रहा। पटवारी, राजस्व निरीक्षक, आदेशिका वाहक जैसे जरूरी कर्मचारियों की अनुपलब्धता के कारण कामकाज पूरी तरह से बाधित है।

आगे क्या होगा?

संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र बातचीत नहीं होती और मांगे पूरी नहीं की जातीं, तो आंदोलन को और भी उग्र किया जाएगा। फिलहाल सभी की निगाहें सरकार की ओर टिकी हैं कि वह इन राजस्व अधिकारियों की जायज मांगों पर कब तक सकारात्मक पहल करती है।


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