खाड़ी में दर्दनाक हादसा: यमन तट पर पलटी प्रवासियों की नाव, 68 की मौत, 74 अब भी लापता

सना (अंतर्राष्ट्रीय डेस्क) // यमन से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। रविवार तड़के यमन के अबयान प्रांत के समुद्र तट के पास एक प्रवासी नाव के पलटने से 68 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 74 प्रवासी अब भी लापता हैं। यह नाव 154 प्रवासियों को लेकर इथियोपिया से सऊदी अरब की ओर जा रही थी, जो रोजगार की तलाश में खतरनाक समुद्री सफर पर निकले थे।
स्थानीय अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने बताया कि नाव में सवार सभी प्रवासी इथियोपिया के नागरिक थे। हादसे के बाद अब तक केवल 10 लोगों को जीवित बचाया जा सका है, जिनमें 9 इथियोपियाई और 1 यमनी नागरिक शामिल हैं।
हाल के वर्षों की सबसे भीषण त्रासदी
स्थानीय मीडिया और IOM ने इस दुर्घटना को हाल के वर्षों की सबसे भयावह प्रवासी त्रासदियों में से एक बताया है। समुद्र में बचाव कार्य तेजी से जारी है और गोताखोर लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं।
यमन: संघर्षग्रस्त, फिर भी प्रवासियों का प्रमुख मार्ग
आश्चर्य की बात यह है कि अफ्रीकी प्रवासी बार-बार यमन जैसे गृहयुद्धग्रस्त देश का रास्ता क्यों चुनते हैं। इसके पीछे केवल आर्थिक कारण नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मजबूरियां भी हैं।
इथियोपिया और सोमालिया जैसे देशों में गरीबी, बेरोजगारी और हिंसा के चलते हजारों युवा बेहतर भविष्य की तलाश में खाड़ी देशों की ओर रुख करते हैं। यमन, जो स्वयं 2014 से गृहयुद्ध की आग में जल रहा है, फिर भी अफ्रीकी प्रवासियों के लिए सऊदी अरब तक पहुंचने का एक प्रमुख मार्ग बना हुआ है।
IOM के आंकड़े और डरावनी हकीकत
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, वर्ष 2024 की शुरुआत से अब तक 60,000 से अधिक प्रवासी यमन के रास्ते खाड़ी देशों की ओर गए हैं। 2023 में यह संख्या 97,200 थी। हालांकि इस साल यह संख्या थोड़ी घटी है, जिसका कारण समुद्री निगरानी और सुरक्षा उपायों की सख्ती मानी जा रही है।
वर्ष 2023 में यमन मार्ग पर कम से कम 558 प्रवासियों की जान गई थी। पिछले दस वर्षों में 2,000 से अधिक प्रवासी लापता हो चुके हैं, जिनमें 693 लोगों की मौत समुद्र में डूबने से हुई है।
यमन में मानवीय संकट और प्रवासियों की दुर्दशा
यमन में राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा तंत्र की विफलता के कारण वहां पहले से ही भीषण मानवीय संकट है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन में करीब 3.8 लाख प्रवासी और शरणार्थी मौजूद हैं। इनमें से कई लोग नजरबंदी, जबरन श्रम, यौन शोषण और अमानवीय हालात का सामना कर रहे हैं।
IOM और अन्य एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि यमन का मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवासन मार्गों में से एक है। इसके बावजूद हजारों प्रवासी हर साल इसी रास्ते को अपनाने पर मजबूर हैं, क्योंकि उनके अपने देश में जीवन की न्यूनतम उम्मीदें भी समाप्त हो चुकी हैं।
निष्कर्ष:
यह त्रासदी एक बार फिर यह याद दिलाती है कि दुनिया भर में आर्थिक और सामाजिक असमानताएं कितनी भयावह रूप ले चुकी हैं। यह केवल एक समुद्री हादसा नहीं, बल्कि एक बड़ी मानवीय चेतावनी है – उन नीतियों और हालातों पर विचार करने की, जो इंसानों को मौत के मुंह में धकेल रही हैं।