सावन का अंतिम सोमवार: ओंकारेश्वर से वनखंडेश्वर तक शिवभक्ति की उमड़ी गंगा, भव्य सवारी और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब

भोपाल (शिखर दर्शन) // सावन माह के अंतिम सोमवार को मध्यप्रदेश के शिव मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही शिवभक्तों की लंबी कतारें भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए उमड़ती रहीं। ओंकारेश्वर, वनखंडेश्वर और कुंडेश्वर जैसे प्रमुख शिवधामों में भक्तों की अपार भीड़ रही। हर ओर ‘हर हर महादेव’ और ‘बोल बम’ के जयघोष गूंजते रहे।
वनखंडेश्वर महादेव में उमड़ी हजारों की भीड़
दतिया से रवि रायकवार की रिपोर्ट:
पीतांबरा पीठ परिसर में स्थित महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मान्यता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी। सावन के अंतिम सोमवार को सुबह से ही भक्त शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर पूजा करते नजर आए। दिनभर मंदिर प्रांगण ‘जय शिव शंकर’ के नारों से गूंजता रहा।
कुंडेश्वर धाम में आस्था की गूंज

टीकमगढ़ से मुकेश सेन की रिपोर्ट:
टीकमगढ़ से 6 किमी दूर स्थित शिवधाम कुंडेश्वर में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के दर्शन किए। माना जाता है कि यहां का शिवलिंग प्रतिवर्ष एक चावल के दाने जितना बढ़ता है। इस विशेषता को देखने और पुण्य लाभ लेने बुंदेलखंड भर से भक्त यहां पहुंचे। मंदिर प्रांगण में भक्तों ने रात्रि तक भजन-कीर्तन और पूजन में हिस्सा लिया।
ओंकारेश्वर में निकली भगवान की भव्य रजत सवारी
ओंकारेश्वर से हरिश्चंद्र शर्मा की रिपोर्ट:
शिव नगरी ओंकारेश्वर में सावन के अंतिम सोमवार का आयोजन भक्ति, उल्लास और अनुशासन से परिपूर्ण रहा। अलसुबह 4 बजे से ही ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए। दिनभर दर्शन का क्रम चलता रहा। दोपहर में भगवान की रजत पालकी में सवारी निकाली गई।

पालकी जैसे ही मंदिर प्रांगण से निकली, श्रद्धालुओं ने गुलाब की वर्षा कर स्वागत किया। यह सवारी आदि शंकराचार्य गुफा, कोटीतीर्थ घाट, गोमुख घाट होते हुए नगर भ्रमण पर निकली। घाट पर भगवान के रजत मुखौटे का नर्मदा स्नान हुआ और 51 वैदिक पंडितों ने महाभिषेक किया।
नौका विहार और नगर भ्रमण बना आकर्षण
शाम 4:30 बजे भगवान की सवारी नौका विहार हेतु नर्मदा नदी में उतरी, जिसके बाद नगर भ्रमण का शुभारंभ हुआ। भगवान ममलेश्वर की पालकी भी साथ जुड़ी और दोनों सवारियों ने नगर के विभिन्न प्रमुख स्थलों से होते हुए रात्रि 11:30 बजे मंदिर में वापसी की।
भक्ति, सेवा और सुरक्षा का अद्वितीय संगम
सवारी मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने फलाहारी प्रसाद, खिचड़ी और जल सेवा के पंडाल लगाए। पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवकों ने मिलकर अद्भुत व्यवस्था संभाली। ट्रस्ट द्वारा रात्रि 9 बजे जेपी चौक पर पुष्पवर्षा की गई और रात्रि 11:30 बजे भगवान के विश्राम के साथ आयोजन का समापन हुआ।
यातायात प्रतिबंध और विशेष व्यवस्था
भारी भीड़ को देखते हुए नवीन बस स्टैंड से आगे नगर में वाहनों का प्रवेश वर्जित किया गया। सुरक्षा हेतु पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मुस्तैद रहे।
ओंकारेश्वर में आज का आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और सेवा का जीवंत उत्सव बन गया।