इंदौर पुलिस ने अब वकील को भी नहीं छोड़ा! पत्रकार और जनप्रतिनिधियों के बाद एडवोकेट से बदसलूकी, एडिशनल DCP आलोक शर्मा पर गंभीर आरोप

महिला क्लाइंट के साथ शिकायत दर्ज कराने पहुंचे वकील पर ही दर्ज कर दी FIR, पुलिस पर रिश्वतखोरी और आरोपियों को बचाने का आरोप
इंदौर (शिखर दर्शन) // मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार पुलिसिया रवैये का शिकार बने हैं एडवोकेट साहिल खान, जो अपनी महिला क्लाइंट शोभा वर्मा के साथ रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुंचे थे। लेकिन शिकायत दर्ज कराने की बजाय खुद ही झूठे केस में फंसा दिए गए। वकील का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए पैसे लेकर मामले को कमजोर किया और विरोध करने पर उन्हें धमकाते हुए कहा गया—“यहाँ मत चलाओ वकालत, कोर्ट में जाकर दिखाना।”
पूरा मामला शोभा वर्मा नामक महिला से जुड़ा है, जिनके साथ पड़ोसी ने गाली-गलौज की और तलवार लहराकर जान से मारने की धमकी दी। इसका वीडियो वकील साहिल खान के पास था, जिसे लेकर वे थाने पहुंचे। उन्होंने उप निरीक्षक दिनेश मीणा से शिकायत की, जिसके बाद FIR तो दर्ज की गई, लेकिन तलवार जैसे गंभीर मामले को नजरअंदाज कर केवल हल्की धाराएं लगाई गईं।
जब एडवोकेट साहिल ने इसका विरोध किया और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, तो कुछ देर बाद उन्हीं पर मारपीट की धाराओं में केस दर्ज कर दिया गया। साहिल खान ने स्पष्ट किया कि वे एक वकील हैं, लेकिन पुलिसकर्मी ने उनकी बात सुनने की बजाय तंज कसते हुए कहा—“अपनी वकालत कोर्ट में जाकर दिखाओ।”
वकील ने यह भी आरोप लगाया कि थाने में आरोपियों को बचाने के लिए पैसे का लेनदेन हुआ और इस डील में एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। साहिल का कहना है कि बिना एडिशनल डीसीपी की अनुमति के FIR दर्ज नहीं होती, फिर उनके खिलाफ मामला कैसे दर्ज किया गया ?
घटना के विरोध में बड़ी संख्या में वकील डीसीपी विनोद कुमार मीना से मिलने पहुंचे और इस कार्रवाई पर कड़ा ऐतराज जताया। वकीलों ने कहा कि जब पुलिस वकीलों के साथ इस तरह का व्यवहार कर रही है, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा ?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इंदौर पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी, या फिर एक बार फिर पुलिसिया संरक्षण में मामला दबा दिया जाएगा ?