11वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित इस मंदिर में ठीक होती हैं बड़ी से बड़ी बीमारियाँ

नागफनी का रहस्यमयी नाग मंदिर: जहां साक्षात दर्शन देते हैं नाग देव, पीरियड्स की समस्या और खुजली तक होती है दूर
प्राचीन मंदिर में नाग पंचमी पर लगता है मेला, मान्यता- मन्नत मांगने से दूर होती हैं बीमारियां और कलह
दंतेवाड़ा (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित नागफनी गांव एक रहस्यमयी आस्था का केंद्र है। गीदम से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव अपने प्राचीन नाग मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जहां मान्यता है कि नाग देवता स्वयं भक्तों को दर्शन देते हैं। इस चमत्कारी मंदिर की स्थापना छिंदक नागवंशी राजाओं द्वारा की गई थी और इसे लेकर कई अद्भुत किंवदंतियां क्षेत्र में प्रचलित हैं।
नागवंशी राजाओं की श्रद्धा से जुड़ी है इस मंदिर की कहानी
11वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान बस्तर में छिंदक नागवंशीय राजाओं का शासन था। वे नागों को ईश्वर का रूप मानते थे और उनकी पूजा करते थे। उन्हीं के समय इस नाग मंदिर की स्थापना हुई और इसी के कारण गांव का नाम ‘नागफनी’ पड़ा। यहां आज भी नाग देवता की जोड़ा मूर्ति (शेषनाग) मौजूद है।

मंदिर में नहीं मारे जाते नाग, लोग लगाते हैं ‘नाग’ उपनाम
स्थानीय पुजारी बताते हैं कि इस गांव में नाग को मारना वर्जित है। यहां के निवासी नागों को देवता मानते हैं और कुछ लोग अपने नाम के आगे ‘नाग’ उपनाम भी लगाते हैं। ऐसा विश्वास है कि अगर कोई अनजाने में भी नाग को मार देता है, तो उसे किसी न किसी विपत्ति का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में लोग मंदिर में आकर क्षमा याचना करते हैं और नाग देव को पीतल, चांदी या अन्य धातु से बने नाग अर्पित करते हैं।
स्वास्थ्य समस्याओं से लेकर संतान प्राप्ति तक होती है मन्नत
यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि इलाज का स्थान भी माना जाता है। यहां खुजली, मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियां, संतानहीनता और घरेलू कलह जैसी समस्याओं के निवारण के लिए मन्नतें मांगी जाती हैं। पुजारी बताते हैं कि एक बार पास के गांव घोटपाल के एक पूरे परिवार को खुजली की गंभीर समस्या हुई थी, मंदिर में मन्नत मांगने के बाद सभी ठीक हो गए।
मंदिर की अद्भुत शिल्पकला और मूर्तियां
इस नाग मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर है। इसके गर्भगृह और आसपास 11वीं और 12वीं शताब्दी की अनगिनत मूर्तियां स्थापित हैं। प्रवेश द्वार के दोनों ओर शिलाखंड में नरसिंह और नृत्यांगना की भव्य मूर्तियां हैं, जो लगभग 23 फीट ऊंची हैं। गर्भगृह के भीतर नाग-नागिन, भगवान गणेश, द्वारपाल, सूर्य देव, भगवान राम-लक्ष्मण, भोलेनाथ, श्रीकृष्ण और बलराम की अद्भुत मूर्तियां हैं।

सोमवार को होते हैं नाग देव के ‘दर्शन’
पुजारी बताते हैं कि उनके पूर्वज भी इस मंदिर में पूजा करते थे और वे स्वयं 2007 से यहां सेवा दे रहे हैं। मान्यता है कि नाग देव समय-समय पर विशेषकर सोमवार को भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। मंदिर परिसर में कई बार नागों की जोड़ी देखी गई है, लेकिन उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
नाग पंचमी पर लगता है भव्य मेला
हर वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस दिन विशेष पूजन, झांकी और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।
नागफनी का यह चमत्कारी मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और चमत्कारों का जीवंत प्रतीक है – जहां श्रद्धा से मांगी गई हर मन्नत होती है पूरी।