मध्यप्रदेश

श्री महाकाल की तीसरी सवारी आज, 3 स्वरूपों में होगी दर्शन की अनोखी शोभा यात्रा, पुलिस-आर्मी बैंड की भव्य प्रस्तुति रहेगी खास आकर्षण

विशेष संवाददाता छमू गुरु की रिपोर्ट

उज्जैन (शिखर दर्शन) //

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष रोशन कुमार सिंह ने बताया कि 28 जुलाई 2025 को भगवान श्री महाकालेश्वर की भव्य सवारी मंदिर के सभामंडप से शुरू होगी। इस बार की सवारी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप विशेष रूप से भव्य बनाया गया है।

सवारी की मुख्य जानकारी इस प्रकार है:

  • पूजन-अर्चन: सवारी शुरू होने से पहले मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा।
  • पालकी यात्रा: पूजन के बाद भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे।
  • सशस्त्र पुलिस सलामी: मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सम्मानित सलामी दी जाएगी।

परंपरागत मार्ग:
सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होकर रामघाट पहुंचेगी। यहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा।

नगर भ्रमण मार्ग:
रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार होते हुए सवारी पुनः मंदिर पहुंचेगी।

लाइव प्रसारण:
भगवान महाकाल की सवारी का सजीव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पेज के साथ-साथ चलित रथ में लगे LED के माध्यम से किया जाएगा, ताकि श्रद्धालु घर बैठे भी दर्शन कर सकें।

तीसरी सवारी में विशेष आकर्षण:

  • इस बार की तीसरी सवारी में विभिन्न रंगारंग बैण्डों की प्रस्तुति होगी।
  • शामिल हैं: पुलिस बैण्ड, बीएसएफ बैण्ड, स्काउट गाइड, सरस्वती शिशु मंदिर खाचरौद और बड़नगर, इम्पीरियल स्कूल खाचरौद, गोपालकृष्ण बैण्ड और कृष्णा मालवा बैण्ड।

जनजातीय कला का अद्भुत संगम:

  • सवारी में चार जनजातीय कलाकारों के दल भी भाग लेंगे।
  • दलों में शामिल हैं:
    • डिण्डोरी के प्रतापसिंह के नेतृत्व में मध्यप्रदेश का करमा सैला जनजातीय नृत्य
    • कर्नाटक की पुष्पलता एवं साथियों द्वारा ढोलू कूनीथा जनजातीय नृत्य
    • जबलपुर के सचिन चौधरी द्वारा अहिराई लोकनृत्य
    • संजय महाजन द्वारा गणगौर लोकनृत्य

इस भव्य सवारी के माध्यम से न केवल बाबा महाकालेश्वर की दिव्यता का दर्शन होगा, बल्कि उज्जैन की सांस्कृतिक विविधता और जनजातीय कला का मनोहारी प्रदर्शन भी होगा, जो श्रद्धालुओं के दिलों को छू जाएगा।


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