जय महाकाल के उद्घोष से गूंज उठा मंदिर परिसर, सावन की चतुर्दशी पर भस्म आरती में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

उज्जैन (शिखर दर्शन) // सावन माह के पावन अवसर पर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि बुधवार को तड़के 3 बजे विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के कपाट विधिपूर्वक खोले गए। मंदिर खुलते ही सबसे पहले भगवान महाकाल का जल से अभिषेक किया गया। इसके पश्चात दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से महाभिषेक कर भव्य पूजन संपन्न हुआ।
बाबा महाकाल के दिव्य श्रृंगार में इस दिन खास भव्यता देखने को मिली। उनके मस्तक पर बेलपत्र और चंद्र अर्पित कर श्रृंगार किया गया। भगवान को रजत निर्मित शेषनाग मुकुट, रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला तथा सुगंधित पुष्पों की मालाओं से सजाया गया। इस अवसर पर ड्रायफ्रूट से विशेष श्रृंगार भी किया गया, जिससे भगवान का स्वरूप और अधिक दिव्य और आकर्षक प्रतीत हुआ। महाकाल को फल और मिष्ठान का भोग अर्पित कर भक्तों ने अपनी श्रद्धा अर्पित की।
प्रातःकालीन भस्म आरती में देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आरती के दौरान बाबा के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा — “जय जय श्री महाकाल”, “हर हर महादेव”, “हर हर शंभू”, “ॐ नमः शिवाय” की गूंज से वातावरण शिवमय हो गया। श्रद्धालु नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामनाएं कहकर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे।
सावन के इस पावन दिन भगवान महाकाल के दिव्य रूप के दर्शन कर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। महाकाल की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं ने यह विश्वास जताया कि बाबा की कृपा से उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होगा।