मेकाहारा में बंद पड़ी जांच मशीनों को लेकर गरमाया सदन, कांग्रेस ने उठाए सवाल तो स्वास्थ्य मंत्री बोले- पांच साल आपकी भी सरकार थी

रायपुर (शिखर दर्शन) // छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन मेकाहारा (डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय) में वर्षों से बंद पड़ी जांच मशीनों और उनकी खरीदी प्रक्रिया को लेकर सदन में जोरदार बहस देखने को मिली। कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश ने प्रश्नकाल में यह मुद्दा उठाते हुए राज्य सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा का आरोप लगाया और पूछा कि वर्षों से मशीनें बंद क्यों पड़ी हैं और नई मशीनों की खरीदी में देरी क्यों हो रही है?
कांग्रेस विधायक ने बताया कि मेकाहारा में कई महत्वपूर्ण जांच मशीनें वर्षों से खराब पड़ी हैं, जिनकी न तो मरम्मत हुई और न ही उनकी जगह नई मशीनें खरीदी गईं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि कैंसर जांच के लिए आवश्यक मशीनें अस्पताल में उपलब्ध क्यों नहीं हैं।
इस पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मेकाहारा में कुल 161 जांच मशीनें स्थापित हैं, जिनमें से 50 मशीनें फिलहाल बंद हैं। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा 70 करोड़ रुपये की लागत से नई मशीनें खरीदी जा रही हैं और वर्तमान में 11 मशीनों की मरम्मत का कार्य जारी है।
कैंसर जांच मशीन को लेकर पूछे गए सवाल पर मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह जांच की श्रेणी में नहीं, बल्कि इलाज की श्रेणी में आती है और यह मशीन विदेश से आती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मशीन को जल्द ही चालू किया जाएगा।
विधायक शेषराज हरवंश ने मंत्री को घेरते हुए कहा कि यह मशीन पिछले 9 साल पहले उन्हीं के कार्यकाल में खरीदी गई थी, लेकिन इतने वर्षों में भी इसे शुरू नहीं किया गया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब दिया कि पूर्ववर्ती मंत्री के नेतृत्व में मशीन खरीदी गई थी, परंतु कुछ कारणों से वह चालू नहीं हो सकी, जिसे अब शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, “पांच साल आपकी भी सरकार थी।”
वहीं भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी बहस में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उन्होंने पिछली सरकार के दौरान भी इस मुद्दे को कई बार उठाया था। उन्होंने कहा कि यदि यह मशीन चालू हो जाए तो इससे सैकड़ों लोगों का इलाज संभव हो सकेगा और यदि खरीदी प्रक्रिया में कोई अनियमितता है तो उसकी जांच भी कराई जा सकती है।
इस पूरे मुद्दे ने सदन में स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक का माहौल खड़ा कर दिया।