शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक वापसी यात्रा शुरू: ISS से अनडॉक हुआ यान, 23 घंटे बाद कैलिफोर्निया तट पर होगी सुरक्षित लैंडिंग

नई दिल्ली (शिखर दर्शन) // भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा अब समापन की ओर है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन का सफल प्रवास पूरा करने के बाद धरती की ओर वापसी की यात्रा शुरू कर दी है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु का स्पेसक्राफ्ट सोमवार शाम अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक अनडॉक हो गया और अब वह तीन अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ कैलिफोर्निया तट की ओर लौट रहा है।
इस ऐतिहासिक मिशन में भारत के साथ हंगरी और पोलैंड की भी वापसी हुई है, जो चार दशक बाद दोबारा अंतरिक्ष में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। यह भारत के लिए खासतौर पर गौरव का क्षण है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला ने न सिर्फ अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि वह पहले भारतीय भी बने जिन्होंने ISS पर कदम रखा।
23 घंटे की होगी वापसी यात्रा
शुभांशु और उनकी टीम को धरती पर लौटने में कुल 23 घंटे लगेंगे। स्पेसक्राफ्ट की अनडॉकिंग के बाद अब यह पृथ्वी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में मंगलवार को इसकी लैंडिंग (स्पलैशडाउन) की संभावना जताई जा रही है।
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट, जो कि शुभांशु की वापसी यात्रा का माध्यम है, अब धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करेगा। इस दौरान उसका तापमान लगभग 1,600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। दो चरणों में पैराशूट खुलेंगे—पहले 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्टेबलाइजिंग चूट्स और फिर लगभग 2 किमी पर मेन पैराशूट, जिससे सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित हो सकेगी।
केंद्रीय मंत्री का संदेश
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पेसक्राफ्ट की अनडॉकिंग पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “शुभांशु, आपका स्वागत है! पूरा देश बेसब्री से आपकी वापसी का इंतजार कर रहा है। आपने एक्सिओम-4 मिशन को सफलता के साथ पूरा किया, यह भारत के लिए गर्व की बात है।”
विदाई में बोले शुभांशु: “सारे जहां से अच्छा…”
ISS पर विदाई समारोह के दौरान शुभांशु ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे अविस्मरणीय रही। उन्होंने कहा, “1984 में राकेश शर्मा ने जो भारत देखा था, अब वह भारत आत्मविश्वासी, निडर और गर्व से भरा नजर आता है। मैं कह सकता हूं – सारे जहां से अच्छा, हमारा भारत।”
ISRO ने खर्च किए ₹550 करोड़, गगनयान की राह प्रशस्त
इस मिशन को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने लगभग ₹550 करोड़ रुपये की लागत से अंजाम दिया। यह मिशन भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है। गगनयान मिशन को वर्ष 2027 में लॉन्च किया जाना है, और शुभांशु के अनुभवों का इसमें अहम योगदान होगा।
वैज्ञानिक प्रयोगों में भारत की मुहर
शुभांशु द्वारा अंतरिक्ष में किए गए प्रयोग पूरी तरह स्वदेशी तकनीक और किट पर आधारित थे, जिन्हें जैव प्रौद्योगिकी विभाग, IISc बेंगलुरु और IIT जैसे प्रमुख संस्थानों ने मिलकर विकसित किया। ये प्रयोग जीवन विज्ञान और पौधों के विकास जैसे क्षेत्रों में वैश्विक रूप से उपयोगी साबित होंगे।
पृथ्वी पर लौटने के बाद रिहैब प्रक्रिया
वापसी के बाद शुभांशु और उनकी टीम को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढलने के लिए 7 दिनों की पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी, ताकि शारीरिक और मानसिक संतुलन सामान्य रूप से बहाल किया जा सके।
भारत की अंतरिक्ष पहचान को नई ऊंचाई
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक अंतरिक्ष पहचान को एक नई ऊंचाई देने वाला कदम है। उनकी वापसी की घड़ी का पूरा देश उत्साहपूर्वक इंतजार कर रहा है।
यह सिर्फ वापसी नहीं, भारत की नई उड़ान का संकेत है।
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