अब मातृत्व-पितृत्व का सपना नहीं रहेगा अधूरा: लैब में त्वचा और रक्त कोशिकाओं से तैयार होंगे स्पर्म और एग

नई दिल्ली // दुनियाभर में तेजी से घट रही प्रजनन क्षमता (Fertility) को लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उम्मीद जगाई है। जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिसके जरिए त्वचा या रक्त कोशिकाओं से लैब में शुक्राणु (Sperm) और अंडाणु (Egg) विकसित किए जा सकेंगे। इस रिसर्च का नाम इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) है और वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले 7 सालों में यह तकनीक पूरी तरह से विकसित हो जाएगी।
यह तकनीक उन दंपतियों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा समलैंगिक जोड़े, कैंसर पीड़ित और उम्रदराज महिलाएं भी इससे लाभान्वित हो सकेंगी।
🔬 क्या है इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG)?
ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर कात्सुहिको हायाशी के अनुसार, इस तकनीक में किसी व्यक्ति की त्वचा या रक्त कोशिकाओं से स्टेम सेल (Stem Cell) तैयार की जाती हैं। इन स्टेम सेल्स को लैब में विकसित करके जर्म सेल्स (यौन कोशिकाएं) में बदला जाता है, जो आगे चलकर शुक्राणु या अंडाणु का रूप लेती हैं।

इस प्रक्रिया को मूषक (चूहों) पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। एक खास प्रयोग में वैज्ञानिकों ने ऐसे चूहे को जन्म दिया, जिसके दो पिता थे, यानी तकनीक समलैंगिक जोड़ों के लिए भी एक नई राह खोल सकती है।
🧬 कौन उठा रहा है नेतृत्व ?
- प्रो. हायाशी, जो इस क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं, ने हाल ही में पेरिस में हुए यूरोपियन सोसाइटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रियोलॉजी (ESHRE) की वार्षिक बैठक में बताया कि इस दिशा में शोध बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- इस रेस में अमेरिका की Conception Biosciences नामक स्टार्टअप कंपनी भी शामिल है, जो प्रयोगशाला में अंडाणु बनाने की दिशा में अग्रसर है।
👨👩👦👦 किन्हें होगा सबसे ज्यादा फायदा ?
- इनफर्टिलिटी से जूझ रहे दंपति
- कैंसर के इलाज के कारण प्रजनन क्षमता गंवा चुके मरीज
- समलैंगिक जोड़े
- उम्रदराज महिलाएं जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकतीं

Conception Biosciences के सीईओ मैट क्रिसिलोफ़ के अनुसार, “लैब में विकसित अंडाणु महिलाओं को अधिक उम्र में मातृत्व का मौका देगा और यह सब कुछ बदल देगा।”
⏳ अभी कितना समय लगेगा ?
प्रो. हायाशी ने बताया कि महिलाओं की कोशिकाओं से स्पर्म बनाना अभी भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसे असंभव नहीं कहा जा सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 5 से 10 वर्षों में यह तकनीक इंसानों पर भी पूरी तरह कारगर हो सकती है।
✅ अब उम्मीद है – गोद भरेगी
प्रो. हायाशी का कहना है, “हमें हर सप्ताह दुनियाभर से ईमेल आते हैं, जिनमें लोग अपनी इनफर्टिलिटी की समस्या साझा करते हैं। यह जिम्मेदारी मेरे ऊपर है और मैं वैज्ञानिक नैतिकता के साथ इस दिशा में तेजी से काम कर रहा हूं।”
निष्कर्ष:
प्रजनन क्षेत्र में यह तकनीक एक क्रांतिकारी मोड़ है। लैब में शुक्राणु और अंडाणु का निर्माण सिर्फ वैज्ञानिक उन्नति नहीं, बल्कि लाखों परिवारों के अधूरे सपनों को पूरा करने की नई राह है।