छत्तीसगढ़ में अवैध प्लॉटिंग पर सख्त कानून लागू: सड़क और सुविधाओं की जमीन नहीं होगी बिक्री, बोर्ड पर देना होगा पूरा विवरण

रायपुर (शिखर दर्शन) // राज्य सरकार ने अवैध प्लॉटिंग पर लगाम कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को “छत्तीसगढ़ किफायती जन आवास नियम 2025” की अधिसूचना जारी कर दी गई, जो राज्यभर में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। नए नियमों के तहत अब 2 एकड़ से कम जमीन पर किसी भी प्रकार की प्लॉटिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे अवैध कॉलोनियों की बेतरतीब बढ़त पर रोक लगेगी।
अब कृषि भूमि को भी वैध रूप से बनाया जा सकेगा आवासीय
यह पहली बार होगा जब प्लॉटिंग क्षेत्र में शामिल कृषि भूमि को वैध रूप से आवासीय घोषित किया जा सकेगा। इसके लिए प्लाटिंग करने वाले को कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार निर्धारित शुल्क देना होगा। इस प्रावधान से जहां एक ओर सरकार को राजस्व मिलेगा, वहीं दूसरी ओर अवैध प्लॉटिंग की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
प्लॉटिंग से पहले देना होगा संपूर्ण विकास का ब्लूप्रिंट
नए नियमों के अनुसार, प्लॉटिंग के पूर्व यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि किस हिस्से में क्या निर्माण किया जाएगा—जैसे कि गार्डन, क्लब, स्वीमिंग पूल, मंदिर आदि। इन स्थानों को चिन्हित कर वहां बाउंड्रीवॉल व सूचना बोर्ड लगाना होगा। इसके अतिरिक्त कॉलोनी की सड़कों की लंबाई और चौड़ाई भी पहले से तय होगी, जिसमें न्यूनतम चौड़ाई 9 मीटर अनिवार्य होगी। अब कोई भी कॉलोनाइज़र प्लॉटिंग पूर्ण होने के बाद सड़क या सार्वजनिक रास्ते की जमीन को बेच नहीं पाएगा।
हर वर्ग के लोगों को मिलेगा लाभ
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के उपसंचालक विनित नायर ने बताया कि यह नियम राज्य में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर लागू किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई है और अब राज्यभर में सभी नई प्लॉटिंग इन्हीं नियमों के तहत होगी। इससे न केवल अवैध कॉलोनियों का निर्माण रुकेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी नियोजित और सुविधाजनक आवासीय क्षेत्रों का लाभ मिलेगा।
मुख्य प्रावधान संक्षेप में:
- 2 एकड़ से कम जमीन पर प्लॉटिंग नहीं होगी।
- कृषि भूमि को कलेक्टर गाइडलाइन अनुसार शुल्क लेकर आवासीय में बदला जा सकेगा।
- हर निर्माण स्थल को पहले से चिन्हित कर बोर्ड व बाउंड्रीवॉल अनिवार्य।
- कॉलोनी की हर सड़क कम से कम 9 मीटर चौड़ी होगी।
- प्लॉटिंग के बाद सार्वजनिक भूमि की बिक्री नहीं की जा सकेगी।
इस ऐतिहासिक कदम से न केवल शहरों का व्यवस्थित विकास होगा, बल्कि आमजन को भी स्पष्ट नियमों के तहत भरोसेमंद आवास मिलेगा।