“पत्नी श्याम रंग” नहीं लगता पति का मन , कोर्ट ने कहा यह तलाक के लिए नहीं है पर्याप्त आधार !

बिलासपुर ( शिखर दर्शन)//छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में तलाक को लेकर दया याचिका खरीफ कर दिया है । डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है की पत्नी की त्वचा काली है , तो इसे आधार मानकर तलाक की अनुमति नहीं दी जा सकती । विवाह पवित्र संबंध है, इसे निभाने और सामाजिक दायित्व का पालन करना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को अपने विवाह संबंध को बेहतर रखने की समझाइए देते हुए याचिका को खारिज कर दिया ।
तलाक संबंधी याचिका की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की डिवीजन बेंच में हुई बलौदाबाजार के कसडोल निवासी याचिका कर्ता पति ने पत्नी से तलाक के लिए अपने अधिवक्ता के जरिए माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है । याचिका करता ने कहा है की पत्नी की त्वचा का रंग काला है । कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है सांवली त्वचा के मुकाबले गोरी त्वचा की प्राथमिकता को बढ़ावा देने प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता है । रंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है , मानव जाति के संपूर्ण समाज को घर के अंदर हो रहे संवाद को ऐसे बनाने की जरूरत है जो गोरे रंग की प्राथमिकता को बढ़ावा देने वाला नहीं होना चाहिए । आवेदक की वर्ष 2015 में शादी हुई थी पति-पत्नी के बीच विवाद के बाद पति ने तलाक के लिए बलौदा बाजार परिवार न्यायालय में वाद पेश किया था । न्यायालय ने वाद खारिज कर दिया । तत्पश्चात याचिकाकर्ता पति ने हाईकोर्ट में याचिका पेश किया था ।