दुर्ग संभाग

तबादले से टूटे बच्चों के अरमान: स्कूल ड्रेस में कलेक्ट्रेट पहुंचे मासूम, रोते हुए बोले – हमें हमारी मैडम वापस चाहिए

बालोद (शिखर दर्शन) // जिले के डौंडी ब्लॉक के ग्राम गुजरा स्थित प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षिका ललिता कंवर के तबादले के बाद बच्चों के मन पर गहरा असर पड़ा है। सोमवार को स्कूली बच्चे अपने पालकों के साथ यूनिफॉर्म पहने हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और भावुक होकर अपनी तकलीफें साझा कीं। बच्चों ने बताया कि ललिता मैडम बहुत अच्छा पढ़ाती थीं, प्यार से बात करती थीं और उनके जाने के बाद स्कूल में पढ़ाई प्रभावित हो गई है। एक छात्रा तो भावनात्मक रूप से इतनी आहत हुई कि उसने भोजन तक करना छोड़ दिया और रोते हुए मैडम को स्कूल वापस लाने की मांग करने लगी।

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स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी
ग्राम गुजरा के प्राथमिक विद्यालय में इस समय कुल 92 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए केवल एक प्रधानाध्यापक और एक सहायक शिक्षक की ही व्यवस्था है। शिक्षिका ललिता कंवर, जो पिछले दो वर्षों से यहां पढ़ा रही थीं, को हाल ही में युक्तियुक्तकरण नीति के तहत साल्हे क्रमांक 02 स्थानांतरित कर दिया गया है। ललिता कंवर के तबादले के बाद विद्यालय में शिक्षक संख्या और भी कम हो गई है, जिससे छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

जिला पंचायत सदस्य ने चेताया, बोले- नहीं सुधरे हालात तो होगा आंदोलन
पूरे मामले को लेकर जिला पंचायत सदस्य नीलिमा स्याम ने भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि गुजरा और बोरिद जैसे गांवों में छात्रों की संख्या अधिक है लेकिन शिक्षकों की संख्या बेहद कम। उन्होंने प्रशासन से तत्काल शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है और चेताया कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

शिक्षकों की व्यवस्था जल्द होगी – प्रभारी डीईओ
इस मामले में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी डी. के. कोसरे ने भरोसा दिलाया है कि विद्यालय में छात्रों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की व्यवस्था जल्द कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि संबंधित स्कूल में शिक्षक संख्या की समीक्षा की जा रही है और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष:
शिक्षिका के तबादले से बच्चों का भावुक होकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचना शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गहरी चिंता का विषय है। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि एक संवेदनशील, समर्पित शिक्षक बच्चों के जीवन में कितना बड़ा स्थान रखता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन बच्चों की आवाज को कितनी गंभीरता से लेता है और कितनी जल्दी समाधान करता है।

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