5 मई महाकाल आरती: राजाधिराज स्वरूप में सजे भगवान महाकाल, भस्म आरती में गूंजे जयकारे

विशेष संवाददाता छमू गुरु की रिपोर्ट:
उज्जैन (शिखर दर्शन) // वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर सोमवार सुबह श्री महाकालेश्वर मंदिर में दिव्यता और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भगवान महाकाल का पारंपरिक जलाभिषेक किया गया।
जलाभिषेक के उपरांत पंचामृत—दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस—से विधिवत अभिषेक पूजन हुआ। इसके बाद भगवान महाकाल को भांग, चंदन, भव्य आभूषण और फूलों की मालाओं से अलंकृत किया गया। विशेष रूप से बाबा महाकाल के मस्तक पर चंद्र और त्रिशूल अर्पित किए गए।
इस अवसर पर भगवान महाकाल को रजत से निर्मित शेषनाग मुकुट और मुण्डमाल पहनाई गई। रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों से बनी फूलों की माला ने उनकी दिव्यता को और बढ़ा दिया। पूजन के अंत में उन्हें फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भस्म आरती में भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित किया। श्रद्धा से ओतप्रोत वातावरण में श्रद्धालुओं ने नंदी महाराज के कान के समीप जाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना की। मंदिर परिसर “जय जय श्री महाकाल”, “हर हर महादेव”, और “ॐ नमः शिवाय” के जयघोषों से गूंज उठा।