बिजली गुल, जनरेटर बंद, सोलर ठप: डॉक्टर ने मोबाइल की रोशनी में कराया प्रसव, वेंटिलेटर पर टिका स्वास्थ्य तंत्र

अमलीपदर अस्पताल की बदहाल व्यवस्था उजागर
गरियाबंद (शिखर दर्शन) //
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत एक बार फिर सामने आई है। गरियाबंद जिले के अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एक घटना ने न सिर्फ सिस्टम की पोल खोली, बल्कि यह भी दिखा दिया कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रही है। दाबरीगुड़ा गांव से दो दिन पहले प्रसव के लिए आई एक महिला का ऑपरेशन डॉक्टरों और स्टाफ ने मोबाइल फोन की रोशनी में कराया, जिससे अस्पताल की बदहाल स्थिति एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है।

अमलीपदर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक डॉ. इंद्रजीत ने जानकारी दी कि घटना वाले दिन करीब आठ घंटे तक इलाके की बिजली गुल रही। अस्पताल का सोलर सिस्टम भी कम क्षमता के कारण ठप हो चुका था। ऐसे में आपात स्थिति को देखते हुए मोबाइल की टॉर्च से प्रसव कराया गया। डॉ. इंद्रजीत ने बताया कि जब पांच घंटे से ज्यादा बिजली नहीं रहती, तो अस्पताल में पूरी तरह ब्लैकआउट की स्थिति बन जाती है, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ती है।
उन्नयन के बावजूद सुविधाओं का अभाव
गौरतलब है कि 2022 में अमलीपदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उन्नयन कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया था। लेकिन आज भी यहां न तो जनरेटर की सुविधा है और न ही बिजली के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था। हालत यह है कि 40 से अधिक गांवों की करीब 80,000 आबादी इसी अस्पताल पर निर्भर है, फिर भी प्रसव कक्ष और इमरजेंसी कक्ष तक में बैकअप बिजली की सुविधा नहीं है।

अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है, जिससे ग्रामीणों को इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टरों और निजी क्लीनिकों पर निर्भर रहना पड़ता है। सुरक्षा के लिहाज से भी स्थिति चिंताजनक है—अस्पताल में बाउंड्री वॉल, सीसीटीवी कैमरे जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं भी नहीं हैं।
फंड तो आया, लेकिन काम नहीं हुआ
अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को पहली बार इस साल फंड मिला, लेकिन वह भी खर्च नहीं किया जा सका। अस्पताल का डीडीओ पावर मैनपुर मुख्यालय के बीएमओ के पास है, जिससे स्थानीय जरूरतों की अनदेखी होती रही है। इसके चलते अस्पताल में आज भी आवश्यक उपकरण, जनरेटर, स्टाफ, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।
ग्रामीणों और स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द अस्पताल में आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं, ताकि आपातकालीन स्थितियों में मरीजों की जान बचाई जा सके।