महाकालेश्वर मंदिर में विशेष श्रृंगार और भस्मारती, दर्शन कर श्रद्धालुओं ने पाया दिव्य अनुभव

उज्जैन (शिखर दर्शन) // वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि, बुधवार 23 अप्रैल को प्रातः 4 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। दिन की शुरुआत भगवान महाकाल के जलाभिषेक से हुई। इसके पश्चात दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से भगवान का पूजन कर उनका विशेष अभिषेक संपन्न हुआ।
बाबा महाकाल का श्रृंगार भांग, चंदन, रजत के आभूषणों और पुष्पमालाओं से किया गया। इस अवसर पर भगवान ने शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला धारण की। सुगंधित फूलों की माला ने उनके अलौकिक स्वरूप में और अधिक दिव्यता भर दी। महाकाल को भस्म अर्पित की गई और फल-मिष्ठान का भोग भी लगाया गया।
प्रातः हुई भस्म आरती में देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। दर्शन कर भक्तों ने पुण्य लाभ प्राप्त किया। नंदी महाराज के कान के समीप जाकर लोगों ने अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना की। संपूर्ण मंदिर परिसर “हर हर महादेव” और “जय श्री महाकाल” के जयघोष से गूंजता रहा। भक्ति और आस्था के इस अनुपम संगम ने श्रद्धालुओं को दिव्यता और आंतरिक शांति का अनुभव कराया।