Canada Hindu Temple Attack: खालिस्तान समर्थकों का ब्रिटिश कोलंबिया स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर पर हमला, भारत विरोधी नारे लिखे

कनाडा में एक बार फिर हिंदू मंदिर पर हमले की घटना सामने आई है। इस बार खालिस्तान समर्थकों ने ब्रिटिश कोलंबिया स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर को निशाना बनाया और मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे। इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कैनेडियन हिंदू चैंबर ऑफ कॉमर्स (CHCC) ने इसे खालिस्तानी उग्रवादियों द्वारा की गई तोड़फोड़ करार दिया और इसे ‘हिंदूफोबिया’ का घृणित उदाहरण बताया।
हिंदू चैंबर ऑफ कॉमर्स की कड़ी प्रतिक्रिया
CHCC ने एक वीडियो जारी कर इस हमले की निंदा की और कनाडा में ‘हिंदूफोबिया’ की चिंता व्यक्त की। संगठन ने कहा, “इस तरह की नफरत भरी हरकतों का कनाडा में कोई स्थान नहीं है। हमें कनाडा की सभी सरकारों से सख्त कार्रवाई की उम्मीद है और हम सभी कनाडाई नागरिकों से नफरत के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हैं।”
पिछली घटनाएँ और बढ़ते हमले
यह पहली बार नहीं है जब खालिस्तान समर्थकों ने हिंदू धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया है। इससे पहले, अप्रैल 2025 में वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे पर हमला हुआ था, जहां दीवारों पर ‘किल मोदी’ और ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ जैसे भारत विरोधी नारे लिखे गए थे। आरोप है कि गुरुद्वारे ने खालिस्तान समर्थकों को नगर कीर्तन में शामिल होने से रोक दिया था, जिसके बाद यह हमला हुआ।
कनाडा में जारी खालिस्तान समर्थक हमले
कनाडा में हिंदू मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। नवंबर 2024 में ब्रैम्पटन के एक मंदिर में खालिस्तान समर्थकों ने श्रद्धालुओं पर हमला किया था। इससे पहले, जुलाई 2024 में एडमॉन्टन के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर पर भी तोड़फोड़ की गई थी और भारत विरोधी नारे लिखे गए थे।
स्थानीय पुलिस ने की जांच की शुरुआत
वैंकूवर पुलिस विभाग ने इस हमले की शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है। प्रवक्ता सार्जेंट स्टीव एडिसन ने बताया कि पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
खालिस्तानियों के बढ़ते प्रभाव पर सवाल
कनाडा में इन हमलों के पीछे खालिस्तान समर्थक तत्वों का हाथ होने की बात सामने आ रही है, और इन घटनाओं के बाद यह सवाल उठने लगा है कि कनाडा सरकार खालिस्तानियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने में कितनी गंभीर है।
कनाडा में हिंदू और सिख समुदाय के बीच बढ़ते तनाव और खालिस्तान समर्थकों के उत्पात को देखते हुए यह स्थिति काफी चिंता का विषय बन गई है।