19 अप्रैल महाकाल आरती: त्रिनेत्र और त्रिपुंड से सुशोभित हुए भगवान महाकाल, राजाधिराज स्वरूप में हुआ दिव्य श्रृंगार – यहां करें दर्शन

उज्जैन (शिखर दर्शन) // वैशाख की षष्ठी तिथि पर शनिवार सुबह श्री महाकालेश्वर मंदिर के कपाट ब्रह्ममुहूर्त में 4 बजे खोले गए। कपाट खुलते ही गर्भगृह में धार्मिक अनुष्ठान की पावन शुरुआत भगवान महाकाल के जलाभिषेक से हुई। इसके बाद पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से भगवान का विशेष अभिषेक पूजन किया गया।
भगवान महाकाल का श्रृंगार अत्यंत राजसी रूप में किया गया। बाबा के मस्तक पर त्रिपुंड और त्रिनेत्र अर्पित कर उन्हें भांग, चंदन, रुद्राक्ष की माला और फूलों से सुशोभित किया गया। विशेष रूप से शेषनाग का रजत मुकुट और चांदी की मुण्डमाल बाबा को धारण कराई गई। सुगंधित पुष्पों से बनी सुंदर माला और दिव्य आभूषणों से उनका श्रृंगार पूर्ण किया गया। भोग के रूप में फल और मिष्ठान अर्पित किए गए।
प्रभु के इस दिव्य रूप के दर्शन हेतु सुबह भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित हुए। श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के साथ नंदी महाराज के भी दर्शन कर उनके कानों में अपनी मनोकामनाएं कहकर आशीर्वाद मांगा। इस दौरान मंदिर परिसर ‘जय श्री महाकाल’, ‘हर हर महादेव’, ‘ॐ नमः शिवाय’ जैसे जयकारों से गूंज उठा। संपूर्ण वातावरण भक्तिभाव, श्रद्धा और आस्था से ओतप्रोत रहा।